नई दिल्ली : देश के हर 10 में 4 मुख्यमंत्रियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और नेशनल इलेक्शन वॉच की नई रिपोर्ट के अनुसार, देश के 40 फीसदी मुख्यमंत्रियों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं। विश्लेषण में राज्य विधानसभाओं और केंद्र शासित प्रदेशों के सभी 30 वर्तमान मुख्यमंत्रियों के स्व-शपथ पत्रों की स्टडी की गई। इसमें पाया गया कि 12 मुख्यमंत्रियों (40%) पर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
10 CMs के खिलाफ गंभीर अपराधों का केस
एडीआर और नेशनल इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट के अनुसार देश में 10 मुख्यमंत्रियों के खिलाफ (33%) हत्या के प्रयास, अपहरण, रिश्वतखोरी और आपराधिक धमकी जैसे गंभीर अपराधों का आरोप है। इनमें तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी 89 मामलों के साथ सबसे ऊपर हैं। दूसरे नंबर पर तमिलनाडु के एम के स्टालिन हैं जिनके खिलाफ 47 मामले दर्ज हैं।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के खिलाफ 19 मामले, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ 13 मामले और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ 5 मामले दर्ज हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू ने चार-चार मामले घोषित किए हैं। वहीं, केरल के पिनाराई विजयन ने दो और पंजाब के भगवंत मान ने एक मामले की घोषणा की है।
केंद्र सरकार का संविधान संशोधन बिल
यह निष्कर्ष ऐसे समय में आया है, जब राजनीतिक रूप से काफी गरमागरम माहौल है। केंद्र सरकार ने हाल ही में संसद में तीन विधेयक पेश किए हैं। इनमें प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को स्वतः पद से हटाने की बात कही गई है। ऐसे में यदि वे कम से कम पांच साल की जेल की सजा वाले आरोपों में 30 दिन या उससे अधिक समय तक हिरासत में रहते हैं तो उन्हें पद से हटाया जा सकेगा।
सरकार ने इस कदम को राजनीति के अपराधीकरण को रोकने के लिए एक कदम बताया है। हालांकि, विपक्ष ने इसे गैर-भाजपा शासित राज्यों को अस्थिर करने की एक कोशिश करार दिया है। कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने एक्स पर कहा कि विपक्ष को अस्थिर करने का सबसे अच्छा तरीका पक्षपाती केंद्रीय एजेंसियों को विपक्षी मुख्यमंत्रियों को गिरफ्तार करने के लिए उकसाना है। साथ ही उन्हें चुनावी तौर पर हराने में नाकाम रहने के बावजूद, मनमाने ढंग से गिरफ्तार करके उन्हें हटाना है।