पुलिस की विशेष भर्ती से भयभीत हो रहे हैं नक्सली, इसलिए वह नौजवान युवकों को बैनर लगाकर डराने का कर रहे हैं काम- समीर सौरभ
जिस प्रकार से पिछले वर्षों में पुलिस द्वारा एनकाउंटर कर नक्सलियों को मारने के बाद जिस प्रकार से नक्सली बैकफुट पर चले गए और समय-समय पर वह अपनी गतिविधियां बैनर पोस्टर के माध्यम से दर्ज करा रहे हैं उसी के चलते हाल ही में हो रही पुलिस विशेष भर्ती मैं नौजवान युवकों में डर का माहौल पैदा करने के लिए नक्सलियों द्वारा बैनर लटकाकर उसमे यह साफ लिखा दिया गया कि नौजवानों पुलिस के लिए मुखबीर करना बंद कर दो एवं जल, जंगल, जमीन को बचाने के लिए काम करो यह पूरी घटना लांजी थाना के सीतापाला चौकी अंतर्गत कांद्रीघाट के जंगल में मुख्य मार्ग के किनारे नक्सलियों द्वारा टांगे गए दो बैनर बरामद हुए हैं।
नक्सली बैनर मिलने के बाद पुलिस अलर्ट मोड पर है। टांडा और दर्रेकसा दलम के नक्सलियों द्वारा टांगे गए बैनर में युवाओं को पुलिस के लिए मुखबिरी बंद करने तथा वर्तमान में जिले में जारी विशेष सहयोगी दस्ता भर्ती प्रक्रिया काे बंद करने की चेतावनी देते हुए सरकार के खिलाफ विरोध जताया है। हालांकि, नक्सलियों की इस हरकत को पुलिस अपने लिए सकारात्मक पहलु के रूप में देख रही है। पुलिस अधीक्षक समीर सौरभ ने बताया कि जहां तक मुखबिरी की बात है, जिले में मुखबिर तंत्र मजबूत हुआ है। नक्सल उन्मूलन अभियान के तहत विशेष सहयोगी दस्ता बल की भर्ती करना गेम चेंजर साबित हो रहा है। क्योंकि विशेष दस्ते में नक्सल प्रभावित विकासखंड के क्षेत्रीय युवाओं को लिया जा रहा है, जो वहां की भौगोलिक, सामाजिक और क्षेत्रीय भाषा की जानकारी रखते हैं। उनके विशेष दस्ता में शामिल होने से नक्सल उन्मूलन अभियान को और मजबूती मिलेगी।
पिछले साल हुई कार्रवाइयों के बाद नक्सलियों में हताशा है और इसी का परिणाम है कि वो समय-समय पर बैनर या पर्चे फेंककर अपनी मौजूदगी दिखाते हैं। नक्सलियों में अब भय का माहौल है। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि जिसके बाद से इलाके में सर्चिंग तेज कर दी गई है।
ग्रामीणों में डर दूर हो रहा- समीर सौरभ
पुलिस अधीक्षक समीर सौरभ ने बताया कि पुलिस द्वारा लगातार नक्सल प्रभावित गांवों में सामुदायिक पुलिसिंग, जनमैत्री सहित अन्य गतिविधियां संचालित की जा रही हैं, जिसके सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं। ऐसे गांव, जहां से पहले नक्सलियों के संबंध में जानकारी नहीं मिलती थी, वहां से भी हमें इनपुट मिल रहे हैं। इससे ये साबित होता है कि ग्रामीणों के मन में नक्सलियों का डर खत्म हो रहा है।