नगर मुख्यालय से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत टवेझरी के मंझारा ग्राम की उम्मीदों पर फिर पानी गिर गया है। इस गांव के लोगों द्वारा मंझारा पंचायत बनने का सपना संजोया गया था जो पूर्व कमलनाथ सरकार ने पूरा भी कर दिया था लेकिन उसे फिर मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह सरकार के आदेश ने ग्रामीणों के सपने को तोड़ दिया है जिससे ग्राम मंझारा के लोगों में आक्रोश व्याप्त हो गया है।
आपको बताये कि दो वर्ष पूर्व जब कमलनाथ की सरकार बनी थी तब पंचायतों का परिसीमन किया गया था, उस समय मंझारा के लोगो को यह लगने लगा था कि उनका ग्राम अलग पंचायत बन जाएगी। इसको लेकर गांव के लोगो मे हर्ष व्याप्त हो गया था।यहां तक कि इस ग्राम के कुछ लोगो द्वारा सरपंच चुनाव लड़ने का मन बनाकर तैयारी भी प्रारंभ कर ली गयी थी। शिवराज सरकार के आदेश को सुनकर लोग निराश हो गये है।
टवेझरी पंचायत के लोग ग्राम में विकास कार्य नहीं होने से परेशान है। अगर उनका ग्राम, पंचायत हो जाएगा तो उनके ग्राम में बहुत विकास कार्य होंगे। बीते 5 – 10 वर्षों से विकास कार्य नहीं हो रहे हैं। अगर मंझारा ग्राम पंचायत हो जाएगा तो इस ग्राम में वह भी वह भी कार्य हो जाएंगे जिन कार्यों से यह ग्राम वंचित रहा है।
कुछ लोगों ने कहा कि शिवराज सरकार द्वारा फिर से इस पंचायत को टवेझरी में जोड़ दिया जाना गलत है यह गांव जनसंख्या की दृष्टि से अलग पंचायत होना चाहिए। इस ग्राम में बहुत सारी समस्याएं हैं टवेझरी पंचायत के सरपंच द्वारा अपने गांव की ओर ज्यादा ध्यान दिया जाता है और मंझारा के विकास की ओर ध्यान नहीं दिया जाता। ग्राम के लोगों का कहना है कि अगर उनके पंचायत को अलग नहीं किया गया तो उनके द्वारा चुनाव का बहिष्कार किया जाएगा।
मंझारा निवासी युवा नेता नितेश कटरे ने परिसीमन की कार्यशैली किसी सरकार या व्यक्ति विशेष के अनुरूप नहीं होती है बल्कि यह नियम प्रक्रिया के अनुरूप होती है। यह आदेश पूरी तरह गलत लग रहा है।
टवेझरी के सरपंच बताते है कि 1 वर्ष पहले कमलनाथ सरकार के समय परिसीमन हुआ था जिसकी वजह से मंझारा को टवेझरी पंचायत से अलग कर दिया गया था। अब फिर परिसीमन को एक रदद् कर दिया गया है।