राजधानी की समीप वाल्मी की पहाडियों में बुधवार की शाम को एक बार पुन: बाघ तफरीह करता नजर आया। बाघ यहां एक ही स्थान पर काफी देर तक दहाड लगाता रहा। इस दौरान अनहोनी की आशंका से वन विभाग के अमले ने कुछ समय के लिए आवागमन रोक दिया। वीडियो बनाते हुए लोगों ने भय और रोमांच का भी अनुभव किया। प्राप्त जानकारी के अनुसार, जंगल से निकलकर वाल्मी पहाड़ी में दाखिल हुआ बाघ टी-1233 बुधवार शाम को वाल्मी संस्थान के मुख्य प्रवेश द्वार तक पहुंच गया, जो कि आबादी के बिल्कुल नजदीक है। यहां तैनात सुरक्षाकर्मियों ने शाम 7.30 बजे के करीब उसकी दहाड़ सुनी थी। इससे वे लोग सकते में आ गए। इसके बाद तुरंत वन विभाग की टीम को खबर दी गई। वनकर्मी मौके पर पहुंचे और बाघ को वापस जंगल में भेजने के जतन शुरू किए। बाघ रात 9.35 बजे तक एक ही स्थान पर बैठकर दहाड़ता रहा। उसकी मौजूदगी को देखते हुए वन विभाग ने वाल्मी के लिए जाने वाले मार्ग पर दोपहिया वाहन चालकों का आवागमन बंद कर दिया था। चार पहिया वाहन चालकों को ही प्रवेश दिया गया। उक्त बाघ सोमवार को मेंडोरा के जंगल से निकलकर 13 शटर के रास्ते वाल्मी के जंगल में दाखिल हुआ था। सोमवार दोपहर को यह बाघ जागरण लेकसिटी की ओर से निकला, नदी पार की और वाल्मी पहाड़ी की और बढ़ने लगा था। वह देखते ही देखते तार फेंसिंग को फांदकर जंगल में दाखिल हो गया था। बाघ की उस हलचल का भी वीडियो सामने आया था। बाघ का वाल्मी एरिया में बाघ का मूवमेंट लगातार बने रहने की वजह से आसपास के इलाके के रहवासयों में दहशत का माहौल है।भोपाल सामान्य वन मंडल के डीएफओ आलोक पाठक का कहना है कि बाघ के मूवमेंट पर लगातार नजर रखी जा रही है। दो अलग-अलग टीमें लगा दी हैं। उसे जंगल के अंदर वापस खदेड़ने की कोशिश कर रहे हैं। जरूरत पड़ी तो बाहर से हाथियों को बुलवाया जाएगा।