नेपाल और भारत की दोस्ती चीन को बिल्कुल भी पसंद नहीं आ रही है। नेपाल हर रोज 11 करोड़ रुपए (6.8 करोड़ भारतीय रुपए) की बिजली भारत को बेचता है। लेकिन चीन नेपाल से सवाल करता है कि आखिर वह भारत को बिजली क्यों बेंच रहा है। नेपाल में चीन के राजदूत चेन सोंग भारत के खिलाफ जहर उगलते हुए कहा था कि आपके पास खुद के लिए बिजली कम है, तो भारत को निर्यात करने का मतलब नहीं है। भारत की नीतियां नेपाल के हित में नहीं हैं।
पिछले दिनों ही भारत सरकार ने फैसला किया था अगले एक दशक में नेपाल से 10 हजार मेगावॉट की बिजली खरीदी जाएगी। नेपाल विद्युत प्राधिकरण (NEA) के मुताबिक वह भारत को बची हुई बिजली निर्यात कर रहा है। NEA के सूचना अधिकारी सुरेश बहादुर भट्टाराई का कहना है कि नेपाल हर रोज भारत को 1.1 करोड़ यूनिज बिजली का निर्यात कर रहा है। भारत में यह बिजली 7-7.5 रुपए प्रति यूनिट बेची जाती है। नेपाल NEA और उसकी कंपनियों के माध्यम से हर रोज 50 हजार मेगावाट बिजली बनाता है।
चीन जाएंगे प्रचंड
नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड संयुक्त राष्ट्र जनरल असेंबली के 78वें सत्र को संबोधित करने के लिए इस समय न्यूयॉर्क में हैं। इसके बाद वह चीन जाने वाले हैं। माना जा रहा है कि चीन यात्रा का सबसे प्रमुख एजेंडा नेपाल का बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव एग्रीमेंट को साइन करना है। नेपाल और चीन के बीच बेल्ट एंड रोड को लेकर लंबे समय से बातचीत चल रही है। लेकिन आपसी सहमति न बनने के कारण इसका काम अटका हुआ है। चीन के करीबी केपी शर्मा ओली ने 2017 में बीआरआई प्रोजेक्ट पर साइन किया था, लेकिन इसमें कोई खास तरक्की नहीं हुई।
चीन से हो सकते हैं कई समझौते
चीन में नेपाल ने बीआरआई में 35 प्रोजेक्ट शामिल किए थे, जिनमें से सिर्फ 9 पर सहमति बनी। एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रचंड की चीन यात्रा के दौरान बिजली व्यापार से जुड़ा समझौता हो सकता है। कुल 8 समझौतों पर हस्ताक्षर हो सकते हैं। इतना ही नहीं पोखर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर कबाड़ बने हुए 5 चीनी पैसेंजर प्लेन का लोन माफ करने को लेकर भी प्रचंड शी जिनपिंग से बात करेंगे।