वर्षों से लंबित अपनी विभिन्न सूत्रीय मांगे पूरी ना होने पर आक्रोशित वन सुरक्षा श्रमिक मंगलवार को हड़ताल पर बैठ गए। जिन्होंने सेवा शर्त सहित अपनी 20 सूत्री मांगों को लेकर जमकर नारेबाजी की जहां उन्होंने उनकी समस्त मांगे पूरी किए जाने की गुहार लगाई ।नगर के जयस्भ चौक स्थित कार्यालय में शुरू की गई इस हड़ताल के दौरान वन सुरक्षा श्रमिकों ने संबंधित विभाग और विभागीय अधिकारियों पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए जानबूझकर उनकी मांगों को अनदेखा किए जाने का की बात कही। वहीं उन्होंने एक रैली के माध्यम से नारेबाजी करते हुए कलेक्टर कार्यालय में ज्ञापन सौंपा जिसमें उन्होंने उनकी समस्त मांगों को जल्द से पूरा किए जाने की गुहार लगाते हुए मांग पूरी ना होने पर आगामी समय में संपूर्ण मध्यप्रदेश में आंदोलन किए जाने की चेतावनी दी।
इन मांगों को लेकर किया गया धरना प्रदर्शन
एक बिट में दो वन सुरक्षा श्रमिकों को समायोजित करने, वन सुरक्षा समितियों का नियमित भुगतान करने, कुप की सुरक्षा सुनिश्चित करने, न्यूनतम वेतनमान देने ,कूप की सुरक्षा राशि बढाकर 2000रु किए जाने,वन सुरक्षा श्रमिकों को वन विभाग, सामान्य विभाग प्रशासन,या श्रम विभाग से पदनाम घोषित करने ,फायर सीजन में आगजनी की घटनाओं को रोकने के लिए प्रत्येक कुप में फायर वाचर पद नाम घोषित करने, कर्मचारियों को कलेक्टर दर से मजदूरी देने, वन सुरक्षा श्रमिकों को नियमित किए जाने ,पूर्व वन सुरक्षा श्रमिकों को पुनः कार्य पर रखने, उनकी सेवा शर्ते बनाने ,पदनाम देने, समिति की जगह विभाग से बैंक खाते में वेतनमान का भुगतान करने,समय पर वेतन देने, वन सुरक्षा श्रमिकों को वर्दी देने ,स्थाई कर्मियों की पदोन्नति किए जाने, सामाजिक सुरक्षा, पेंशन, बीमा का लाभ देने और वन प्रबंधन 1995 नोटिफिकेशन को संशोधन कर अधिसूचना जारी किए जाने सहित वर्षों से लंबित अपनी विभिन्न मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन किया।
हमारी मांगों पर नहीं दिया जा रहा ध्यान-जीसी मसकोले
इस पूरे मामले के संदर्भ में की गई चर्चा के दौरान मध्य प्रदेश वन सुरक्षा श्रमिक संघ भोपाल प्रदेश अध्यक्ष जीसी मसकोले ने बताया कि हमने पूर्व में अपनी विभिन्न मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा था लेकिन अभी तक हमारी समस्या का समाधान नहीं हुआ है हमारी सेवा शर्तों के अलावा दूसरी अन्य मांगे हैं जिन पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है जिससे वन सुरक्षा श्रमिक काफी परेशान हैं। अभी 9 फरवरी को जब डीएफओ साहब ने वन सुरक्षा श्रमिक अध्यक्षों की बैठक बुलाई थी उस समय वन सुरक्षा समिति को भुगतान के लिए निर्धारित किया गया था हम चाहते हैं कि हमें समिति नहीं बल्कि वन विभाग से भुगतान किया जाए।










































