बालाघाट(पदमेश न्यूज़)।सिकलसेल रोग के बारे में लोगों की जानकारी देने, बीमारी के प्रति लोगो की समझ बढ़ाने ,रोगियों और उनके परिवार की देखभाल करने, और सिकल सेल के प्रति लोगों को जागरुक कर ,तेजी से पांव पसार रही इस बीमारी की रोकथाम के लिए केवल भारत देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में 19 जून को विश्व सिकल सेल जागरूकता दिवस मनाया जाता है। जो प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी मनाया जाएगा। लेकिन बालाघाट जिले में और खासतौर पर आदिवासी अंचलों में सिकल सेल के बढ़ते मामले कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। जहां जन जागरूकता की कमी के चलते लोग इस बीमारी को हल्के में ले रहे हैं और बिना मेडिकल टेस्ट के ही पॉजिटिव व्यक्ति से शादी करके इस बीमारी को और अधिक बढ़ा रहे हैं। शायद यही वजह है कि लगातार बढ़ते जा रहे इन आंकड़ों को देखते हुए अब स्वास्थ विभाग द्वारा भी शादी करने के पूर्व कुंडली मिलाने के साथ-साथ सिकल सेल की मेडिकल रिपोर्ट भी मिलने की बात कही जा रही है। ताकि सिकलसेल के इन आकड़ो को कम किया जा सके।
साढ़े 3 लाख लोगों की जांच में मिले 1666 पाजेटिव
जिले में सिकलसेल के बढ़ते मामलों का पता लगाने व उसकी रोकथाम के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग सिकलसेल रोगियों को चिन्हित करने अभियान चला रहा है। 2023 से शुरू किए गए अभियान के तहत अब तक साढ़े 3 लाख व्यक्तियों की जांच की जा चुकी है। इनमें 1666 पाजेटिव रोगी सामने आए हैं।जबकि 956 का वैक्सीनेशन किया गया है।
क्या है सिकलसेल रोग
प्राप्त जानकारी के अनुसार सिकल सेल रोग एक वंशानुगत रक्त विकार है। जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं असामान्य हो जाती हैं और जल्दी मर जाती है। सिकल सेल रोग में लाल रक्त कोशिकाएं सख्त और चिपचिपी हो जाती हैं और अक्षर सी के आकार की बन जाती है। ये कोशिकाएं रक्त वाहिकाओं में आसानी से नहीं जा पातीं और छोटी रक्त वाहिकाओं में फंस जाती है। इससे रक्त प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है और शरीर के अंगों तक ऑक्सीजन और रक्त का प्रवाह धीमा हो जाता है या बंद हो जाता है। सिकल सेल रोग से पीड़ित लोगों में एनीमिया हो सकता है। एनीमिया तब होता है, जब शरीर में ऑक्सीजन ले जाने के लिए पर्याप्त स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाएं नहीं होती।
इन इलाकों से अधिक मरीज
स्वास्थ विभाग के अनुसार जिले में सिकलसेल के रोगी सार्वाधिक आदिवासी बाहूल्य वन क्षेत्रों से सामने आ रहे हैं। इनमें जिले के बैहर, बिरसा और परसवाड़ा तहसील क्षेत्र के अलावा लामता और लांजी क्षेत्र के कुछ क्षेत्रों से सिकलसेल रोगी सामने आ रहे हैं। इसके अलावा अन्य क्षेत्र में भी मरीज मिल रहे है।
इसलिए परीक्षण अनिवार्य
चिकित्सकों के अनुसार सिकल सेल रोग और सिकल सेल लक्षण आमतौर पर जन्म के समय नियमित नवजात स्क्रीनिंग परीक्षणों के दौरान रक्त परीक्षण से पता चलता है। एक दूसरा रक्त परीक्षण जिसे हीमोग्लोबिन इलेक्ट्रोफोरेसिस कहा जाता है, निदान की पुष्टि करता है। सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित लोगों में लाल रक्त कोशिकाएं अर्धचन्द्राकार के आकार की हो जाती हैं। समय पर जांच करने से इस बीमारी का पता किया जा सकता है।जिसका पता लगाने पर उपचार किया जा सकता।
आजीवन बीमारी, उपचार संभव
चिकित्सकों के अनुसार सिकलसेल रोग एक आजीवन बीमारी है। हालांकि इसका इलाज उपलब्ध है, लेकिन स्टेम सेल प्रत्यारोपण हमेशा उपलब्ध नहीं होते और कई जोखिम लेकर आते हैं। हालांकि, जल्दी निदान और उपचार आपके लक्षणों और जटिलताओं की संभावनाओं को कम करने में मदद कर सकता है। निरंतर देखभाल के साथ, आप एक पूर्ण सक्रिय जीवन जिया जा सकता है।
शादी के पूर्व मेडिकल जांच जरूर कराए – उपलव
विश्व सिकल सेल दिवस को लेकर की गई चर्चा के दौरान जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ परेश उपलव के ने बताया कि वंशानुगत होने वाली इस बीमारी को लेकर सभी को जागरूक होना होगा। खासकर विवाह के समय वर – वधु की कुडली मिलान भले न करें। लेकिन सिकल सेल जांच रिपोर्ट का मिलान अवश्यक कराना चाहिए।ताकि आने वाली पीढ़ी को इस बीमारी से बचाया जा सके।