भोपाल । अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के समाजों में उद्यमिता विकास के लिए दलित इंडियन चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (डिक्की) सोशल आउटरीच प्रोग्राम शुरू करने जा रहा है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य सक्रिय सामाजिक संगठनों के सहयोग से इन समाजों में स्व-रोजगार के लिए वातावरण तैयार कर लघु,सूक्ष्म एवं मध्यम स्तर पर उद्यमिता विकास करना है। स्टेट मेंबर मीट में डिक्की के अध्यक्ष डॉ अनिल सिरवैयां ने यह जानकारी प्रदेश भर से आए संभागीय एवं जिला समन्वयकों को दी। उन्होंने बताया किया सोशल आउटरीच प्रोग्राम की डिक्की यह पहल राष्ट्रीय पर है। प्रदेश में फरवरी में इन कार्यक्रम की शुरूआत सभी संभागों में होगी। इन सामाजिक संगठनों के साथ-साथ विभिन्न् कर्मचारी संघों के साथ मिलकर ऐसे कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि युवाओं को बेहतर बिजनेस आइडिया, आसान ऋण सुविधा और बाजार उपलब्ध कराने के लिए डिक्की अनेक स्तरों पर कार्य कर रहा है। केंद्र और राज्य स्तर पर कई योजनाएं और कार्यक्रम डिक्की की पहल पर शुरू की गई हैं। डॉ सिरवैया ने कहा कि मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग की आबादी 37 प्रतिशत से अधिक है। स्व-रोजगार और उद्यमिता के माध्यम से ही इन दोनों का वर्गों का विकास संभव है। मीट में डिक्की के मेंटोर डॉ मनोज आर्य पश्चिम भारत के उपाध्यक्ष हृदेश किरार तथा सभी संभागों और जिलों के समन्वयक तथा वर्टीकल प्रमुख मौजूद थे। कार्यक्रम को डिक्की के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संजीव दांगी तथा पश्चिम भारत के समन्वयक संतोष कांबले ने वर्चुअली संबोधित किया। डॉ. आर्य ने कहा कि डिक्की का उद्देश्य युवाओं को नौकरी मांगने वाले की बजाए नौकरी देने वाला बनाना है। अपने इस उद्देश्य को डिक्की लगातार हासिल कर रहा है। भारत सरकार और राज्य सरकारों के साथ दलित-आदिवासी युवाओं के लिए उद्यमिता विकास के लिए विशेष नीतियां बनाकर एक सकारात्मक वातावरण तैयार किया जा रहा है ताकि पूंजी और बाजार की समस्या को हल किया जा सके। श्री किरार ने कहा कि डिक्की से जुड़कर युवाओं का उद्यमी बनाने का सपना साकार हो रहा है।