वारासिवनी(पद्मेश न्यूज)। सेवा प्रदाताओं के द्वारा २५ जुलाई को महानिरीक्षक पंजीयन एवं अधीक्षक मुद्रांक भोपाल मध्यप्रदेश के नाम का ज्ञापन एसडीएम को सौंपकर फ र्जी रजिस्ट्री प्रकरण में सेवा प्रदाता और उपपंजीयक किसी प्रकार से उत्तरदाई नहीं होने की बात कही गई। ज्ञापन में उल्लेखित है कि प्राय: संपूर्ण प्रदेश में कही ना कही दस्तावेजो के पंजीयन में संबंधित क्रेता और विके्रता द्वारा फर्जीवाड़ा करने के प्रकरण मामले सामने आ रहे है। जिसमें सेवा प्रदाता एवं उप पंजीयक का कोई संबंध सरोकार नही होता है। उसके बावजुद भी कुछ तथाकथित व्यक्तियों के द्वारा उन्हे दबाव डालकर भय का वातावरण निर्मित कर रहे है। गौरतलब रहे कि दस्तावेज पंजीयन के पूर्व सम्पूर्ण जानकारी एवं पंजीयन में लगने वाले समस्त दस्तावेज के्रता और विके्रता उपलब्ध कराते है। उसी के आधार पर सेवा प्रदाता एवं उप पंजीयक के कार्यालय में पंजीयन के पूर्व उनके द्वारा दिये गये दस्तावेजो के आधार व सम्बंधित गवाहो के साक्ष्य के आधार पर ही पंजीयन निष्पादित होता है। पंजीयन के दस्तावेज के लेख में इसका खुला आशय है की त्रुटियां व किसी भी तरह के विवाद उत्पन्न होने की दशा में सेवा प्रदाता एवं उप पंजीयक कही से कही तक दोषी नही माने जाते। विलेख में वर्णित पक्षकार अंतरण गवाह ईत्यादि विषयो पर वर्तमान भविष्य में कोई विवाद आपराधिक प्रकरण दर्ज होता है या पहचान पत्र का फर्जी उपयोग होता है एवं धोखे से विके्रता और के्रता अपनी असल पहचान छुपाकर गलत पहचान के द्वारा सम्पत्ति का अंतरण किया जाता है । तो सेवा प्रदाता एवं उप पंजीयक वैधानिक रूप से जिम्मेदार नही होते । सेवा प्रदाता एवं उप पंजीयक का कर्तव्य म.प्र.रजिस्ट्रीकरण अधिनियम १९०८ के प्रावधानो के अनुसार मात्र उनके समक्ष उपस्थित पक्षकारो के द्वारा प्रस्तुत विलेख का पंजीयन कराना है । अंतरण संबंधि आपराधिक कृत्य हेतू सेवा प्रदाता एवं उप पंजीयक भी उत्तरदायी नही है। ऐसे में हम चाहते हैं कि वर्तमान या भविष्य में ऐसे किसी प्रकरण में ऐसी स्थिति उत्पन्न हो तो पूर्णत: निष्पक्ष जांच करवायी जायें । सेवा प्रदाता एवं उप पंजीयक को छोडक़र दोषी व्यक्तियों पर आवश्यक एवं न्यायोचित कार्यवाही की जायें। इस अवसर पर बड़ी संख्या में सेवा प्रदाता मौजूद रहे।
उपपंजीयक और सेवा प्रदाता को आरोपी बनाने प्रशासन पर डाल रहे दबाव – ऋषि तिवारी
सेवा प्रदाता ऋ षि तिवारी ने बताया कि अभी फ र्जी रजिस्ट्री का प्रकरण सामने आया है। जिसमें क्रेता और विक्रेता ने फर्जी आधार लगाकर कार्य किया गया ऐसे में उनके पक्ष के लोगों के द्वारा अनावश्यक उपपंजीयक ,सेवा प्रदाता को आरोपी बनाने प्रशासन पर दबाव डाल रहे हैं। इसका विरोध हम लोग करते हैं सेवा प्रदाता उपपंजीयक कहीं भी जवाबदार नहीं है अधिनियम १९०८ में यह उल्लेख है। जो दस्तावेज के्रता और विके्रता के द्वारा दिए जाएंगे इस पर हमारी जवाबदारी नहीं है । यदि गलत दस्तावेज लाये गए हैं तो इसके लिए दोषी दस्तावेज लाने वाला है ना कि हम। फ र्जी रजिस्ट्री पक्षकार के दायरे में है कुछ लोग जबरदस्ती चाह रहे हैं कि इन्हें आरोपी बनाएं यह गलत है।










































