हर्षोल्लास से मनाया गया वीरांगना रानी दुर्गावती का बलिदान दिवस

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नगर सहित क्षेत्र में वीरांगना रानी दुर्गावती का बलिदान दिवस के साथ प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी 24 जून को मनाया गया। जिसमें सामाजिक बंधुओ के द्वारा बढ़-चढ़कर उपस्थिति दर्ज करवाकर कार्यक्रम को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। जिसमें बड़ा देव पूजा शोभायात्रा सामूहिक नृत्य एवं अन्य कार्यक्रम आयोजित कर सामाजिक भोज की भी किया गया। विदित हो कि रानी दुर्गावती गढ़ा राज्य की शासक महारानी थीं उन्हें मुगल साम्राज्य के खिलाफ अपने राज्य की रक्षा के लिए याद किया जाता है। रानी दुर्गावती 5 अक्टूबर 1524 – 24 जून 1564 1550-1564 ई. में गोंडवाना की महारानी थीं। उन्होंने गोंडवाना के राजा संग्राम शाह के बेटे राजा दलपत शाह से शादी की। उन्होंने 1550 से 1564 तक अपने बेटे वीर नारायण के अल्पवयस्क होने के दौरान गोंडवाना की संरक्षिका के रूप में कार्य किया। युध्द में जब उन्हें लगा कि वे बेहोश होने वाली हैं तो उन्होंने दुश्मनों के हाथों मरने से बेहतर खुद को समाप्त करना सही समझा रानी दुर्गावती ने अपनी तलवार अपने सीने में घोंप ली इस तरह 24 जून 1564 को वीरगति को प्राप्त हुईं। जिसकी याद में 24 जून को बलिदान दिवस मनाया जाता है जिसका आयोजन जगह-जगह सामाजिक बंधुओ के द्वारा किया गया।

वाराटोला में शोभायात्रा निकालकर मनाया बलिदान दिवस

जनपद पंचायत वारासिवनी अंतर्गत ग्राम पंचायत वारा के वाराटोला में रानी दुर्गावती चौक पर वीरांगना रानी दुर्गावती बलिदान दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम सामाजिक बंधुओ की उपस्थिति में आयोजित किया गया। जिसमें भुमका देवनसिंह अडमे में एवं नेतलाल परते के द्वारा बड़ा देव की पूजा अर्चना विधि विधान से की गई। जिसके बाद शोभायात्रा निकल गई यह शोभायात्रा रानी दुर्गावती चौक से प्रारंभ हुई जो ग्राम के विभिन्न चौक चौराहा का भ्रमण करते हुए वापस रानी दुर्गावती चौक पर पहुंची जहां पर शोभायात्रा का समापन किया गया। इस दौरान वीरांगना रानी दुर्गावती अमर रहे जैसे उद्घोष लगाकर रानी के कार्यों को लोगों को पहुंचाने का कार्य किया गया। तत्पश्चात वीरांगना रानी दुर्गावती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर सामूहिक नृत्य कार्यक्रम प्रारंभ किया गया जिसमें रानी दुर्गावती और बिरसा मुंडा के ओजस्वी गीतों पर जमकर नृत्य किया गया। इस अवसर पर मानसिंह परते यशवंत पुसाम संतोष परते सूर्यभान सिंह पुसाम रायसिंह पुसाम दुर्गा प्रसाद विजय परते इमला पुसाम राधिका बाई सोगनबाई सुंदरोबाई रामूलाबाई गीताबाई रामदयाल उइके सहित बड़ी संख्या में स्वजातीय बंधु मौजूद रहे।

कायदी में वीरांगना रानी दुर्गावती को किया गया याद

ग्राम पंचायत कायदी के वीरांगना रानी दुर्गावती चौक पर रानी दुर्गावती का बलिदान दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें भुमका जेठूसिंह टेकाम के द्वारा बड़ा देव की पूजा अर्चना विधि विधान से करवाई गई। तत्पश्चात वीरांगना रानी दुर्गावती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उपस्थित जनों को वीरांगना रानी दुर्गावती के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उनकी वीरगति और वीरगाथा के बारे में बताया गया। इसके बाद सामूहिक भोज कर कार्यक्रम का समापन किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में स्वजातीय बंधु मौजूद रहे।

तुमाड़ी में माल्यार्पण का हुआ आयोजन

ग्राम पंचायत तुमाड़ी में 24 जून को वीरांगना रानी दुर्गावती बलिदान दिवस के अवसर पर माल्यार्पण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें सामाजिक बंधुओ के द्वारा पूजा अर्चना करने के उपरांत वीरांगना रानी दुर्गावती की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। तत्पश्चात वीरांगना रानी दुर्गावती अमर रहे बिरसा मुंडा अमर रहे जैसे विभिन्न उद्घोष लगा कर महापुरुषों के जीवन पर प्रकाश डालकर इतिहास बताया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में स्वजातीय बंधु मौजूद है।

मानसिंह परते ने पदमेश से चर्चा में बताया कि वीरांगना रानी दुर्गावती बलिदान दिवस का आयोजन किया गया है जिसमें रानी के बलिदान को याद कर उनकी वीरगाथा के बारे में आने वाली पीढ़ी को बताया गया। वहीं उनके उनके मार्ग पर चलकर देश और समाज के लिए काम करने के लिए समाज के लोगों को प्रेरित किया गया। यह कार्यक्रम पिछले 50 वर्षों से मनाया जा रहा है जिसमे इस वर्ष भी सुबह सामाजिक पूजा अर्चना की गई इसके बाद शोभायात्रा निकालकर ग्राम का भ्रमण कर वीरांगना रानी दुर्गावती की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया तत्पश्चात सामाजिक कार्यक्रम आयोजित किये गये। जिसमें सामाजिक गीतों पर लोगों के द्वारा जमकर नृत्य भी किया गया कार्यक्रम के माध्यम से लोगों से अपील है कि वह एकता और भाईचारा बनाए रखें।

सतीश उइके ने बताया कि गोंडवाना साम्राज्य की महारानी दुर्गावती एक महान रानी रही जिसमें अपने शासनकाल में अनेकों बदलाव करते हुए मुगलों से जमकर युद्ध लड़ा और अंतिम समय में मुगलों का हाथ भी ना लगे इसलिए स्वयं के हाथों वीरगति को प्राप्त हो गई। उनका बलिदान दिवस पूरा देश मना रहा है इस अवसर पर प्रतिवर्ष अनुसार कायदी में भी बलिदान दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें पूजा अर्चना कर माल्यार्पण के साथ बलिदान दिवस मनाया गया एवं महापुरुषों के बताएं मार्ग पर चलकर समाज को उन्नति और प्रगति करने की अपील की गई।

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