नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने बक्सवाहा हीरा खदान मामले में पर्यावरणीय मंजूरी व डायवर्सन से पूर्व जनसुनवाई किए जाने पर बल दिया है। इस सिलसिले में केंद्रीय व राज्य वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को लीगल नोटिस भेजे गए हैं।
आवश्यक प्रक्रिया हर हाल में अपनाई जाए : मंच के प्रांताध्यक्ष डॉ.पीजी नाजपांडे ने बताया कि अधिवक्ता प्रभात यादव के जरिये भेजे गए लीगल नोटिस में साफ किया गया है कि चूंकि अभी तक पर्यावरणीय मंजूरी नहीं दी गई है, अत: एनओसी से पूर्व आवश्यक प्रक्रिया हर हाल में अपनाई जाए। 364 हेक्टेयर संरक्षित वन भूमि में एस्सेस माइनिंग कंपनी को प्रदेश सरकार ने 19 दिसंबर, 2019 को हीरा खनन के लिए लीज प्रदान की है। जिसके बाद से कंपनी का पर्यावरणीय मंजूरी विषयक आवेदन लंबित है। इस बीच केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के उप इंस्पेक्टर जनरल ने मध्य प्रदेश के वन विभाग को 12 अप्रैल, 2021 को पत्र लिखा। जिसमें वन भूमि के डायवर्सन के लिए स्थल निरीक्षण कर स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करने कहा गया है। चूंकि यह मामला प्रोजेक्ट एनवायरमेंट इम्पेक्ट एसेस्टमेंट के एसओ नंबर-1538-ए ग्रेड का है, अत: जनसुनवाई करना अनिवार्य है। लेकिन अभी तक यह प्रक्रिया प्रतीक्षित है।
जनता से धोखा करने वाले आरोपितों का विरोध जारी रहेगा : कोर्ट ने नकली रेमडेसिविर मामले में आरोपित सिटी अस्पताल, जबलपुर के संचालक सरबजीत सिंह मोखा के पुत्र हरकरण सिंह मोखा की जमानत अर्जी खारिज कर दी। आरोपित के अधिवक्ता द्वारा जमानत पर बल न दिए जाने के कारण जमानत खारिज कर दी गई। हरकरण सिंह मोखा को पुलिस रिमांड समाप्त होने पर शुक्रवार को न्यायालय में पेश किया गया। जिला अधिवक्ता संघ, जबलपुर के पूर्व सचिव अधिवक्ता मनीष मिश्रा, युवा अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अधिवक्ता रविंद्र दत्त, शचींद्र रघुवंशी और प्रशांत नायक ने जमानत अर्जी का विरोध किया। इसके कारण आरोपित के अधिवक्ता ने जमानत पर बल नहीं दिया। सुनवाई के बाद न्यायालय ने आरोपी की जमानत खारिज कर उसे चार जून तक की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। अधिवक्ता वर्ग से साफ किया कि जनता से धोखा करने वालों का विरोध करते रहेंगे।