किसानों को उनकी फसलों का वाजिब दाम दिलाने और उन्हें बिचौलियों से बचने के लिए प्रतिवर्ष शासन द्वारा समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी की जाती है। जहां प्रतिवर्ष के अनुसार इस वर्ष भी शासन द्वारा 1 दिसंबर से जिले के विभिन्न धान खरीदी केंद्रों में समर्थन मूल्य पर किसानों का उपार्जन खरीदा जा रहा है ।लेकिन परिवहन की उचित व्यवस्था न होने के चलते खरीदी गई धान का परिवहन नहीं हो पा रहा है ।जिसके चलते जहां एक ओर किसान परेशान है ,तो वहीं दूसरी ओर समिति प्रबंधकों को भी भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।जहां जगह की कमी के चलते विभिन्न केंद्रों पर खरीदी गई धान के ढेर लग चुके हैं। तो वही जगह न होने के चलते किसानों को भी धान बेचने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
हड़ताल खत्म होने के बाद भी नही उठाई जा रही धान
बताया जा रहा है कि जिले के लगभग सभी उपार्जन केंद्रों में इन दिनों धान की आवक के पहले के मुकाबले कहीं अधिक बढ़ गई है।35 हजार मैट्रिक टन के आसपास रोजाना धान की खरीदी की जा रही है। लेकिन खरीदी के मुक़ाबले खरीदी गई धान का परिवहन नहीं हो रहा है जानकारी के अनुसार पहले हड़ताल का बहाना बनाकर परिवहनकर्ता धान का परिवहन नहीं कर रहे थे। लेकिन अब वाहन चालकों की हड़ताल समाप्त हो चुकी है बावजूद इसके भी विभिन्न धान खरीदी केंद्रों में खरीदे गए धान का परिवहन नहीं किया जा रहा है जिसके चलते उपार्जन केंद्रों में परेशानी बढ़ गई है।
19 जनवरी है धान खरीदी की अंतिम तारीख
विभागीय जानकारी के अनुसार 1 दिसंबर से जिले में समर्थन मूल्य पर खरीदी गई प्रारंभ की गई है। जिसमें बीते 03 जनवरी तक धान विक्रय के लिए 92334 किसानो ने अपना स्लॉट बुक कराया है। जबकि 03 जनवरी तक समर्थन मूल्य पर 58482 किसानों से 646 करोड़ 04 लाख रूपए की 2959427 क्विंटल धान खरीदी जा चुकी है, जिसमें अब तक 29742 किसानों को 195 करोड़ 50 लाख का भुगतान किया गया है। जिसमें जिले में धान खरीदी आंकड़ा बढ़कर 04 जनवरी तक विपणन संघ के अनुसार 3 लाख 15 हजार मीट्रिक टन खरीदी का आंकड़ा भी जोड़ दिया जाए तो यह बीते वर्ष से कम है।जबकि इस वर्ष जिले में खरीदी गई धान के परिवहन की स्थिति 1लाख 60 हजार मीट्रिक टन है। वही 5 परिवहनकर्ताओं के लगभग 350 ट्रक लगाए गए है। बताया जा रहा है कि धान खरीदी की अंतिम तारीख 19 जनवरी है।यदि तारीख बढाने को लेकर शाशन से कोई आदेश नही आते तो 19 जनवरी के बाद समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी नहीं होगी।जिसके चलते ज्यादातर किसान जल्द से जल्द समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए आमदा है। तो वही परिवहन ना होने के चलते सभी खरीदी केंद्रों पर भारी परेशानी बनी हुई है।
परिवहन ना होने से केंद्रों में कम पड़ रही जगह
जिले के विभिन्न केंद्रो में वर्तमान में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का काम चल रहा है, लेकिन परिवहन ना होने के चलते धान की बिक्री के लिए केंद्र पहुचने वाले किसानों को हर समय समस्या का सामना करना पड़ रहा है. बताया जा रहा है कि जिले में स्लॉट बुकिंग की समस्या के चलते पहले ही हजारों किसान परेशान हैं, लेकिन अब उनके सामने एक और समस्या आ गई है. खरीदी केंद्र से धान का उठाव न होने से उपार्जन प्रभारी व किसानों के लिए चिंता का सबब बन गया है. जिले के केवल एक ब्लाक ही नही बल्कि जिले के सभी उपार्जन केंद्रों से धान का परिवहन नहीं होने से धान उपार्जन कार्य में बाधा उत्पन्न हो रही है।
72 घंटे वाले नियम का, नहीं किया जा रहा पालन
बात अगर नियम की करें तो नियम के मुताबिक किसानों से ध्यान खरीदने के 72 घंटे या तीन दिन के भीतर खरीदी गई उस धान का परिवहन किए जाने का नियम बनाया गया है। ताकि विभिन्न धान खरीदी केंद्रों पर किसानों से धान खरीदने और किसानों को उस केंद्र पर धान बेचने में किसी प्रकार की कोई परेशानी ना हो। वही विभिन्न धान खरीदी केंद्रों पर पर्याप्त जगह बनी रहे। लेकिन जिले के विभिन्न धान खरीदी केंद्रों पर इस नियम को ताक में रखा जा रहा है। जहां 72 घंटे वाले इस नियम की धज्जियां उड़ाते हुए परिवहनकर्ता धान का परिवहन नहीं कर रहे हैं। जिसके चलते किसान और केंद्र प्रभारियों दोनों परेशान है।
विलंभ से किया गया परिवहन का अनुबंध
जानकारी के अनुसार परिवहन में देरी की वजह, विलंब से परिवहनकर्ताओं से परिवहन के किए गए अनुबंध को बताया जा रहा है। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार खरीदी के लगभग 21 दिन बाद 22 दिसंबर को परिवहनकर्ताओं से अनुबंध किया गया और 23 दिसंबर से परिवहन कार्य प्रारंभ किया गया। जिसके कारण, खरीदी गई धान की मात्रा की तुलना में आधी धान भी परिवहन नहीं हो सकी है।
जब परिवहन ही नही हुआ, तो कैसे होगा भुगतान
वही सबसे ज्यादा परेशानी भुगतान को लेकर आ रही है। बताया जा रहा है कि जब तक धान का परिवहन गोदाम या मिलिंग के लिए नहीं हो जाता और उस धान की ऑनलाइन एंट्री नहीं हो जाती तब तक बेची गई उस धान का किसानों को भुगतान नहीं किया जाएगा।जिसको लेकर किसान परेशान है।
स्लॉट ब्लैंक होने का मंडरा रहा खतरा
बता दें कि समितियों ने जिन किसानों की धान समर्थन मूल्य पर खरीद कर स्टॉक में रख लिया है, उसे वेयर हाउस में शिफ्ट नहीं किया गया. जिसके चलते केंद्रों में अब नया लॉट खरीदने के लिए जगह नहीं बची है. ऐसे में जिले के तमाम किसानों के बुक स्लॉट ब्लैंक होने का खतरा मंडराने लगा है. यह स्थिति बालाघाट जिले के लगभग सभी खरीदी केंद्रों में बनी हुई है
राईस मिलर्स को मिला है परिवहन का काम
आपको बताए कि जिले के 184 खरीदी केन्द्रों में लाखों क्लिंटल धान की खरीदी की जा चुकी है। वहीं मौसम के डर से क्षेत्र के तमाम किसान एक साथ अपनी उपज लेकर केन्द्रों में पहुंच गए हैं, जिसके चलते समितियों ने उपलब्ध बोरों के अनुसार खरीदी कर धान को परिसर में ही रख लिया, लेकिन उसका परिवहन अभी तक नहीं हुआ है.ज्ञात हो कि इस बार परिवहन का जिम्मा राइस मिलर्स को दिया गया था, लेकिन ऐन वक्त में मिलर्स काम नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में केन्द्रों पर भारी मात्रा में धान का स्टॉक रखा हुआ है।
जल्द ही परिवहन कराया जाएगा- रघुवंशी
वही इस पूरे मामले को लेकर की गई औपचारिक चर्चा के दौरान जिला वितरण अधिकारी हीरेंद्र रघुवंशी ने बताया कि परिवहनकर्ताओ की बैठक ली जा चुकी है वही दूरभाष पर वह पत्र लिखकर भी जल्द से जल्द परिवहन करने को कहा गया है।जिले में अब तक लगभग 3 लाख 15 हजार मैट्रिक टन धान की खरीदी में 1 लाख 60 हजार मैट्रिक टन धान का परिवहन किया जा चुका है। यह सही है कि परिवहन कम हो रहा है लेकिन हम परिवहन को बढ़ाने को लेकर लगातार प्रयासरत है और लगभग 350 ट्रक, परिवहन में लगाए गए है लेकिन बीते दिनों हड़ताल और अन्य कारणों से केन्द्र से उठाव नहीं हो सका। अब परिवहन को तेज किया जाएगा।