किसान हमारा अन्नदाता है जिसकी उपज से ही हम अपना पेट भरते है। ऐसे में जो किसान फसल का उत्पादन करता है वो ही किसान को अगर भोजन न प्राप्त हो तो उसे तकलीफ होना तय है। ऐसा ही एक मामला वारासिवनी धान मंडी का है जहां स्थित कृषक भोजनालय करीब ४ से ५ वर्ष से बंद है। जहां आने वाले कृषक बंधु या तो अपने घर से भोजन ला रहे है या फिर बाहर भोजनालय में भोजन ग्रहण करने जा रहे है। जिससे उन पर आर्थिक भार पड़ रहा है। कृषको का कहना है कि हमे पूर्व समय इसी उपज मंडी में ५ रूपये के भाव से भोजन प्राप्त होता था मगर यह व्यवस्था फिलहाल बंद हो चुकी है। जिसके कारण हमे बाहर जाकर भोजन ग्रहण करने मजबूर होना पड़ रहा है।
इस संबंध में पदम्मेश को जानकारी देते हुये कृषक रामदास नागोसे खापा निवासी ने बताया कि वर्तमान में कृषक भोजनालय काफी लंबे वर्षो से बंद है जिसकी वजह से जब हम जब घर से निकलते है तो खाली पेट ऐसे में हमे दोपहर के समय भोजन ग्रहण करने होटल या भोजनालय जाना पड़ता है। जिससे हम पर आर्थिक भार पड़ रहा है। ऐसे में हम चाहते है कि कृषक भोजनालय प्रारंभ होना चाहिये। ताकि हमे ५ रूपये में भोजन प्राप्त हो सके। हम लोग दूसरे का पेट भरते है मगर हमारा ही पेट न भरे तो हमे भी काफी तकलीफ होती है।
८० से १०० रूपये थॉली का कर रहे भोजन -भुवनेन्द्र पटले
इसी तरह गर्रा रामपायली निवासी कृषक भुवनेन्द्र पटले ने पदम्मेश को बताया कि पहले इसी मंडी में कृषक भोजनालय हुआ करता था। में यह नही जानता कि उस समय भोजन मंडी में किस मूल्य पर प्राप्त होता था। मगर जब से यह कृषक भोजनालय बंद हुआ है तब से हम किसानों को भारी तकलीफ हो रही है। हम लोग बाहर ८० से १०० रूपये थॉली का भोजन १ वक्त का कर रहे है। ऐसे में हम पर काफी आर्थिक भार पड़ रहा है क्योकि हमारी धान जिस मूल्य पर जाना चाहिये उस मूल्य पर नही जा रही है। ऐसे में हम सुबह सुबह या देर रात्री तक मंडी पहुॅचते है और बाहर खाना खाकर अपनी फसल की जगवाली करते है।
इनका कहना है –
पदम्मेश को दूरभाष पर जानकारी देते हुये मंडी सचिव डीएस पंचेश्वर ने बताया कि हमने मंडी में संचालित होने वाले कृषक भोजनालय के लिये ३ से ४ बार निविदा निकाल दी है। मगर किसी ने भी इस निविदा को नही भरा है। जिसकी वजह से कृषको को बाहर से भोजन ग्रहण करना पड़ रहा है। हम भी चाहते है कि कृषको के लिये शीघ्र ही मंडी परिसर में ही पुन: कृषक भोजनालय प्रारंभ हो ताकि किसान भोजन के लिये इधर उधर न भटके। राज्य शासन के मुताबिक कृषक को सिर्फ ५ रूपये अदा कर भोजन प्रदान किया जाता है बाकि के १० रूपये राज्य शासन अनुदान के रूप में देती है।
डीएस पंचेश्वर मंडी सचिव कृषि उपच मंडी वारासिवनी
बाईट रामदास नागोसे किसान