प्रदेश की संस्कारधानी के नाम से मशहूर जबलपुर शहर इन दिनों आवारा कुत्तों के आतंक से परेशान है। हालात इतने खराब हो गए है कि हर दो घंटे में शहर के पांच लोग आवारा कुत्तों का शिकार हो रहे है। जबलपुर में एंटी रेबीज का इंजेक्शन लगवाने के लिए विक्टोरिया अस्पताल पहुंचने वाले घायलों की संख्या देखकर हालात अंदाजा लगाया जा सकता है। विक्टोरिया अस्पताल में रोजाना 57 से ज्यादा लोग रेबीज इंजेक्शन का पहला डोज लेने पहुंचते हैं। शहर के अन्य शासकीय व निजी अस्पतालों, औषधालयों के आंकड़े सामने आने पर घायलों की संख्या बढ़ सकती है। विक्टोरिया अस्पताल में हर माह औसत 10 हजार से ज्यादा लोगों को एंटी रेबीज इंजेक्शन लगाए जाते है जिसमें साढ़े छह हजार से ज्यादा लोग पहला इंजेक्शन लगवाने पहुंचते हैं। चार साल (वर्ष 2019 से इस वर्ष के आठ माह तक) में विक्टोरिया अस्पताल में 69 हजार 456 लोगों को एंटी रेबीज इंजेक्शन लगाया जा चुका है। चिकित्सकों का कहना है कि कुत्तों के काटने से हाइड्रोफोबिया नामक बीमारी का खतरा रहता है। रेबीज संक्रमित की जान बचाने का कोई उपाय नहीं है। संभाग में अकेले विक्टोरिया अस्पताल में हाइड्रोफोबिया के मरीजों को भर्ती करने की सुविधा है। न सिर्फ गली मोहल्लों बल्कि मुख्य सड़कों पर भी आवारा कुत्तों हमला कर रहे हैं। खासकर रात के समय सूनी सड़कों पर आवारा कुत्ते सड़क दुर्घटनाओं की भी वजह बनते हैं। आवारा कुत्तों के बधियाकरण कर नगर निगम सालाना लाखों रुपये खर्च करता है। वर्ष 2013 में विक्टोरिया अस्पताल में 13 हजार 874 एंटी रेबीज इंजेक्शन लगाए गए थे। इसी प्रकार 2014 में 14 हजार 668, 2015 में 21 हजार 852, 2016 में 10 हजार 53 लोगों को इंजेक्शन लगाए गए थे। विक्टोरिया अस्पताल में हर साल औसत हाइड्रोफोबिया के 17 मरीज उपचार के लिए भर्ती होते हैं। ऐसे मरीज हवा, पानी व प्रकाश से डरते हैं। उनके हावभाव कुत्तों की तरह नजर आते हैं। हाइड्रोफोबिया के तमाम मरीज अस्पताल तक नहीं पहुंच पाते। कुत्तों के काटने के बाद अब भी झाड़फूंक का सहारा लिया जाता है। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र में ऐसी तमाम घटनाएं सामने आई हैं। विक्टोरिया अस्पताल में रेबीज का इंजेक्शन लगवाने पहुंचे अमझर निवासी युवक ने बताया कि एक सप्ताह पूर्व उसे कुत्ते ने काटा था। घर वाले उसे झाड़फूंक के लिए ले गए थे। गुनिया ने कहा था कि अब कोई खतरा नहीं। परंतु चिकित्सक की सलाह पर वह विक्टोरिया अस्पताल में इंजेक्शन लगवाने पहुंचा। इस बारे में विक्टोरिया अस्पताल जबलपुर के सिविल सर्जन डा.आरके चौधरी का कहना है कि ऐसे तमाम लोग हाइड्रोफोबिया की चपेट में आए जो एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाने की जगह झाड़फूंक में समय गंवाते रहे। कुत्तों के हमले में घायलों को झाड़फूंक में समय न गंवाते हुए चिकित्सीय परामर्श पर एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाना चाहिए।