नई दिल्ली: ईरान और इजरायल के बीच जारी जंग से कच्चे तेल की कीमत में लगातार उछाल आ रही है। यह पांच महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुका है। भारत पर भी इसका असर पड़ने की आशंका है क्योंकि भारत अपनी जरूरत का 85% से अधिक कच्चा तेल आयात करता है। क्रूड महंगा होने से पेट्रोल, डीजल और एलपीजी के दाम बढ़ सकते हैं। इससे देश में महंगाई एक बार फिर भड़क सकती है। लेकिन सरकार को तेल की खरीद में विविधता से थोड़ी राहत मिल रही है। भारत सरकार स्ट्रेट ऑफ होर्मुज की स्थिति पर कड़ी नजर रख रही है। होर्मुज जलसंधि से दुनिया के तेल का लगभग 20% हिस्सा आता है।
स्ट्रेट ऑफ होर्मुज सऊदी अरब, यूएई और इराक जैसे देशों के लिए तेल एक्सपोर्ट का मुख्य रास्ता है। यह सिर्फ तेल के लिए ही नहीं, बल्कि पश्चिम एशियाई बाजारों में जाने वाले सामान के लिए भी जरूरी है। सरकार के सूत्रों का कहना है कि अगर ईरान से खतरा बढ़ता है, तो दूसरे रास्तों की तलाश की जाएगी। ईरान ने धमकी दी है कि वह स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को बंद कर सकता है।
कच्चे तेल की कीमत
ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत 90 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई है। इससे पेट्रोल और डीजल बेचने वाली तेल कंपनियों का मुनाफा कम हो सकता है। लेकिन हाल ही में एक्साइज ड्यूटी में बदलाव के कारण पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बदलाव की संभावना कम है। ओपेक के फैसले से भी कीमतों पर असर पड़ सकता है। लेकिन अनुमान है कि भारत ने इस महीने पश्चिम एशिया से ज्यादा तेल रूस से खरीदा है। सूत्रों का कहना है कि यूक्रेन युद्ध के बाद भारत ने रूस से तेल की खरीद बढ़ाई है। इससे भारत को तेल की आपूर्ति में कोई परेशानी नहीं होगी।
तेल के अलावा गैस को लेकर भी चिंता हो सकती है। भारत में बड़ी मात्रा में गैस खाड़ी क्षेत्र से आती है। इसके अलावा पाइप से आने वाली रसोई गैस और सीएनजी की कीमतें भी इससे जुड़ी हैं। इससे उद्योगों के लिए लागत बढ़ सकती है। मई में खुदरा महंगाई दर घटकर 2.8% रह गई थी जो छह साल में सबसे कम है। इसलिए फिलहाल कीमतों में बढ़ोतरी की कोई बड़ी चिंता नहीं है। लेकिन भविष्य में महंगाई दर बढ़ने से नीति निर्माताओं पर दबाव बढ़ सकता है। इसके अलावा भू-राजनीतिक अनिश्चितता भी बढ़ सकती है।
ट्रेड को नुकसान
ट्रेड के लिए युद्ध जोखिम बीमा एक चुनौती है। इसकी उपलब्धता और कीमत दोनों ही चिंता का विषय हैं। फियो के डायरेक्टर जनरल अजय सहाय ने कहा कि कुल मिलाकर मांग पर असर पड़ेगा। बहुत ज्यादा अनिश्चितता है। इसका मतलब है कि युद्ध के कारण व्यापार में नुकसान होने का खतरा है और इसका बीमा मिलना मुश्किल हो सकता है।