‘एम एस धोनी’ के को-स्टार जितिन गुलाटी ने कहा-बड़े शहर की लाइफ सुशांत सिंह की विनम्रता और जड़ों को कभी हिला नहीं पाई थी

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दिवंगत एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की 2 दिन बाद पहली डेथ एनिवर्सरी है। सुशांत ने पिछले साल 14 जून को मुंबई के बांद्रा स्थित अपने फ्लैट में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। एक्टर के निधन के बाद से अब तक उनके फैंस, फैमिली, फ्रेंड्स और सिलेब्रिटीज आए दिन उन्हें याद करते रहे हैं। अब हाल ही में सुशांत की फिल्म ‘एम. एस. धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी’ में उनके को-स्टार रहे जितिन गुलाटी ने उन्हें याद किया है। जितिन ने उनकी पहली डेथ एनिवर्सरी से पहले एक इंटरव्यू में सुशांत के साथ जुड़ी कई यादें और बातें शेयर की हैं।

अपनी जड़ों को न भूलने की क्षमता सुशांत को सबसे अलग बनाती है
जितिन गुलाटी ने कहा, “जब मैं उनसे मिला था तो सबसे पहली बात जो मुझे उनकी अच्छी लगी, वो थी उनकी इंटेलिजेंस। वे एक एक्टर होने के अलावा और भी बहुत कुछ थे। वे चौकस और तेज थे। वे किसी भी चीज की बहुत अच्छे स्तर पर तैयारियां करते थे, उनकी इस बात से में काफी प्रभावित हुआ था। वे स्वयं जागरूक और केंद्रित थे।”

जितिन गुलाटी ने आगे कहा, “सुशांत की अपनी जड़ों को न भूलने की क्षमता उन्हें सबसे अलग बनाती है। उनकी विनम्रता, जड़ता और अपने होमटाउन के साथ उनका जुड़ाव कभी नहीं छूटा। वे इतने लंबे समय तक अपने होमटाउन से दूर रहे और उन्होंने इतनी सफलता देखी थी। लेकिन इसके बावजूद भी वे अपने घर रांची से उतना ही जुड़ाव महसूस करते थे, जितना लगाव उन्हें पहले था। हमने उनके होमटाउन और कई जगहों पर फिल्म की शूटिंग की थी। बड़े शहर का जीवन उसे अपनी जड़ों से संबंधित होने की भावना को हिला नहीं सका। मुझे लगता है कि उनके इतना सफल होने का यही एक कारण था।”

लाइफ, फेम, कॉस्मोलॉजी, साइंस, क्रिकेट, पॉलिटिक्स के बारे में बातें किया करते थे
एक्टर ने कहा कि सुशांत के साथ बातचीत कभी भी फिल्म बिजनेस के बारे में नहीं होती थीं। उन्होंने कहा, “हम लाइफ, फेम, कॉस्मोलॉजी, साइंस, क्रिकेट, पॉलिटिक्स के बारे में बातें किया करते थे। चूंकि, हम उनके होमटाउन स्टेट में शूटिंग कर रहे थे, वे स्थानीय व्यंजनों से अच्छी तरह वाकिफ थे.. हम कभी-कभी जाकर उन्हें आजमाते थे। यह हम सभी के लिए विशेष समय था।”

हर सीन को सही करने के सुशांत के समर्पण को याद करते हुए जितिन ने कहा, “एकेडमिक बैकग्राउंड से आने के कारण वे स्क्रिप्ट और कैरेक्टर्स को अपनी स्टडी की तरह ही ट्रीट करते थे। मुझे लगता है कि उनके सभी कैरेक्टर्स के साथ ऐसा ही था। वे हमेशा बहुत तैयार रहते थे, फिर भी सीन्स में बहुत सहज रहते थे। इसमें कोई शक नहीं कि वे अपनी कला में बहुत माहिर थे।”

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