ऐतिहासिक शहर मांडू में पर्यटकों को दिखा तेंदुआ, मची अफरातफरी

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अपने ऐतिहासिक महत्व के साथ तेंदुए की चहलकदमी के लिए हमेशा सुर्खियों में रहने वाले मांडू में बस्ती के पास बने रेस्ट हाउस के पास मार्ग पर बुधवार रात को तेंदुआ नजर आया। इससे अफरा-तफरी और दहशत का माहौल छा गया। पर्यटकों ने जब तेंदुए को देखा, तो वे हक्के-बक्के रह गए। पहले तो सैलानी अपने वाहन में जाकर सुरक्षित हो गए, उसके बाद कोई तेंदुए का फोटो खींचने, तो कोई वीडियो बनाने में मशगूल हो गया।

बुधवार रात पर्यटकों द्वारा बनाया गया तेंदुए के विचरण का वीडियो इंटरनेट मीडिया पर जमकर वायरल हुआ। लोगों ने इस वीडियो को जमकर शेयर किया और अपने रिश्तेदारों को भी भेजा। कई लोगों ने इस वीडियो को अपनी वाट्सएप डीपी के रूप में स्थापित किया, तो कई ने फेसबुक पर इसे लेकर टिप्पणियां की। वायरल वीडियो 43 सेकंड का है और इसमें सैलानी तेंदुआ देखने के बाद घबराहट के साथ एक-दूसरे को तेंदुआ आया… तेंदुआ आया… चिल्लाते हुए नजर आ रहे हैं।

मांडू में तेंदुए के स्वतंत्र विचरण करने के वीडियो आए दिन वायरल होते हैं। यहां आए सैलानी उन्हें शेयर करते हैं। कुछ दिन पूर्व ही काकड़ा खोह के पास मुख्य मार्ग पर तेंदुआ देखने के बाद वीडियो जमकर शेयर हुआ था। उसके बाद छह महीनों में तीन बार मांडू घाट और मांडू के तारापुर घाट क्षेत्र में खुलेआम घूम रहे तेंदुए का वीडियो वायरल हुआ था।

हो सकता है बड़ा हादसा, विभाग को नहीं चिंता

मांडू शहर के जंगलों में तेंदुए अब तक कई इंसानों के साथ पशुओं को शिकार बना चुके हैं। आदिवासी क्षेत्रों में तेंदुए के हमले की घटना कई बार हो चुकी है। चार साल पहले नीलकंठ क्षेत्र से दुधमुंहे बच्चे को भी चंद्रशेखर से उठाकर ले गया था। सैकड़ों घटनाएं अब तक प्रकाशित हो चुकी है। मांडू के महलों के आसपास और खाई किनारे तेंदुए आते रहते हैं। अब तो तेंदुए बस्तियों और मांडू शहर में भी आने लगे हैं, जो किसी दिन स्थानीय रहवासियों या सैलानियों के बड़े हादसे का सबब बन सकता है।

इसके बावजूद वन विभाग को स्थानीय लोगों, पर्यटकों या आदिवासियों की सुरक्षा से कोई लेना-देना नहीं है। जब भी इस घटना की सूचना मिलती है, तो वन विभाग सीधा जवाब देता है आया है, घूमकर चला जाएगा, पानी की तलाश में आया होगा और हम क्या कर सकते हैं। ऐसे लापरवाही भरे जवाब देकर वन विभाग अपनी जवाबदारी से मुंह मोड़ लेता है।

मांडू में है टाइगर बालकनी

मांडू के जंगल प्राचीन काल से ही शहरों और तेंदुए का प्राकृतिक बसेरा रहे हैं। इसका जिक्र सदियों पुराने ग्रंथों में आज भी मौजूद है। मांडू में विचरण करने वाले तेंदुए और शेरों को लेकर बड़े-बड़े इतिहासकारों ने भी अपनी रचनाओं में वर्णन किया है। मांडू में राजवंश के लोगों ने इन्हें देखने के लिए यहां नाहर झरोखा बनाया था, जो आज भी केंद्रीय पुरातत्व विभाग की संरक्षित स्मारक के रूप में यहां स्थापित है। देश-विदेश से सैलानी मांडू से तेंदुए और शहरों के संबंध को जानने यहां पहुंचे हैं। राजवंश के लोग यहां आकर जंगलों में मौजूद शेरों और तेंदुआ को शौकिया तौर पर निहारते थे।

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