कांग्रेस नेतृत्व के विश्वासपात्र अहमद पटेल और मोतीलाल वोरा के निधन से आई रिक्तता को भरने के लिए मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ का नाम तेजी से उभरा था। माना जा रहा था कि उन्हें पार्टी के केंद्रीय संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाएगी। मध्य प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव में करारी हार के बाद यह संभावना और प्रबल हो गई थी लेकिन केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की रिपोर्ट उनके दिल्ली जाने की राह में रोड़ा बन रही है। दरअसल, इसमें आयकर छापे में बरामद दस्तावेजों में बड़े लेन-देन का जिक्र है और कमल नाथ के करीबी ही इसमें निशाने पर हैं। चुनाव आयोग इस पूरे मामले की निगरानी भी कर रहा है।सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल और वरिष्ठ नेता व कोषाध्यक्ष रहे मोतीलाल वोरा के निधन के बाद कमल नाथ के दिल्ली रुख करने की चर्चा निकली। इसकी वजह उनकी गांधी परिवार से नजदीकी और वरिष्ठ नेताओं से संबंध को बताया जा रहा था। उन्हें कोषाध्यक्ष बनाए जाने का प्रस्ताव दिया गया था पर वे सहमत नहीं थे। उन्होंने उपाध्यक्ष बनाए जाने की बात रखी थी। इस पर विचार चल ही रहा था कि सीबीडीटी की रिपोर्ट सामने आ गई।इससे पूरी कवायद पर पानी फिर गया। लोकसभा चुनाव- 2019 के समय तत्कालीन मुख्यमंत्री कमल नाथ के नजदीकी व्यक्तियों सहित अन्य के खिलाफ आयकर विभाग ने छापे की कार्रवाई की थी। इसमें कई दस्तावेज बरामद हुए थे, जिनमें कांग्रेस नेताओं, अधिकारियों सहित निजी व्यक्तियों के बीच बड़ी राशि के लेन-देन का उल्लेख था। इसको लेकर मध्य प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा, गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा सहित भाजपा के अन्य बड़े नेताओं ने कमल नाथ से लेकर अन्य नेताओं पर यह आरोप लगाया था कि कांग्रेस चुनाव में कालेधन का उपयोग करती है।हवाला के जरिये राशि दिल्ली में कांग्रेस नेताओं को पहुंचाने की बात भी इन्हीं दस्तावेजों से सामने आई थी। इसके आधार पर चुनाव आयोग द्वारा भेजी गई सीबीडीटी की रिपोर्ट पर राज्य शासन ने आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) को प्रकरण सौंपा है। हालांकि, कमल नाथ कह चुके हैं कि इस मामले में पूरी जांच होना चाहिए। उन्होंने अपने दिल्ली जाने की बात पर भी कहा है कि वे मध्य प्रदेश में ही रहेंगे। पद का निर्णय पार्टी करेगी।