किसानों के द्वारा खरीफ सीजन में लगने वाली धान की रोपाई के लिए बीज (खार) बोया गया है और खार रोपाई के लिए तैयार हो चुका है अ’छी बारिश हो जाती है तो कुछ दिनों के बाद नगर मुख्यालय की ग्राम पंचायत पांढरवानी सहित अन्य सटी ग्राम औल्याकन्हार, अमोली, पनबिहरी, मानपुर के किसान रोपाई का कार्य प्रारंभ कर देगें परन्तु आवारा मवेशी रात्रि के समय खेतों में पहुंचकर खार को चर कर चौपट कर रहे है यानि नुकसान पहुंचा रहे है जिससे किसान बेहद परेशान है। साथ ही किसान धान के रोपा में बीमारी लगने के कारण उसमें कीटनाशक दवाई का छिड़काव भी कर रहे है परन्तु रात्रि के समय आवारा मवेशी जिस खार में कीटनाशक दवाई का सेवन कर रहे है उसके संपर्क में आने से बुधवार की रात ८ बजे एक गाय मजार के पीछे मृत अवस्था में पड़ी हुई थी। जिसके बाद आसपास स्थित लोगों ने मवेशी मालिक को सूचित किया जिनके द्वारा उसका गुरूवार की सुबह उसे दफन किया गया और गाय की मौत हो जाने से मवेशी मालिक को करीब १०-१५ हजार रूपये का नुकसान हुआ है। इसी तरह पूर्व में भी कीटनाशक दवाई के सेवन से गायों की मौत हो चुकी है बावजूद उसके मवेशी मालिक अपने मवेशियों को खुला छोड़ दे रहे है जिसके कारण उनकी असमय मौत हो रही है। साथ ही आवारा मवेशी रात्रि के समय किसानों के खेतों में लगी धान के खार, तुअर के पौधों को भी नुकसान पहुंचा रहे है जिससे किसान बेहद परेशान है। ग्राम पंचायत पांढरवानी, औल्याकन्हार, अमोली, मानपुर के किसानों ने ग्राम पंचायत पांढरवानी-लालबर्रा, औल्याकन्हार, मानपुर, पनबिहरी, अमोली, राजस्व विभाग एवं पुलिस विभाग से धर-पकड़ अभियान चलाकर आवारा मवेशियों को पकड़कर गौशाला भिजवाकर पशु मालिकों पर वैधानिक कार्यवाही करने की मांग की है।
प्रशासन आवारा मवेशियों को पकड़कर भेजे गौशाला
आपकों बता दे कि इन दिनों नगर मुख्यालय में आवारा मवेशियों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है जिनके द्वारा हाईवे मार्ग में शांति नगर स्थित मजार के पास, हाईस्कूल रोड सहित अन्य स्थानों में धमा चौकड़ी करने के साथ ही सड़क के बीचों-बीच बैठकर आराम किया जाता है जिसके कारण मार्ग से गुजरने वाले चौपहिया, दुपहिया वाहनों, पैदल आवागमन करने वाले लोगों को भारी परेशानी होती है और रात्रि के समय ये ही आवारा मवेशी नगर मुख्यालय से सटी ग्राम पनबिहरी, औल्याकन्हार, मानपुर, पांढरवानी, कटंगटोला, रामजीटोला, अमोली के किसानों के खेतों में लगी खरीफ धान की फसल के रोपाई व खार को भी नुकसान पहुंचा रहे है जिससे उन्हे आर्थिक नुकसान हो रहा है। साथ ही किसानों के द्वारा खार में लगी बीमारी की रोकथाम के लिए कीटनाशक दवाई का भी छिड़काव किया जाता है जिसके सेवन से भी पूर्व में मवेशियों की मौत भी हो चुकी है उसके बावजूद भी पशु मालिक अपने मवेशियों को खुल छोड़ दे रहे है जो समझ से परे लग रहा है।