केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने दी विशेष छूट? शाह के बयान पर सिब्बल बोले तो, लेकिन असली बात छिपा ली

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कपिल सिब्बल ने अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ‘विशेष छूट’ करार दिए जाने पर केंद्रीय मंत्री अमित शाह की कानूनी समझ पर सवाल उठा दिया। राज्यसभा सांसद और जानेमाने वकील सिब्बल ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणी आपत्तिजनक है। उन्होंने कहा कि अगर गृह मंत्री को कानून के बारे में जानकारी होती तो वो ऐसी टिप्पणी नहीं करते। सिब्बल ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘अमित शाह ने बेहद आपत्तिजनक बयान दिया है और सुप्रीम कोर्ट की मंशा पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि कई लोग कहते हैं कि अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दी गई विशेष छूट है। उन्होंने बेहद चतुराई से कहा, ‘लोग कहते हैं।’ आपने यह बयान इसलिए दिया क्योंकि आप उन लोगों पर विश्वास करते हैं। ‘लोग कहते हैं’ के पीछे मत छिपिए। गृह मंत्री को कानून के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, इसलिए ऐसी टिप्पणी नहीं करनी चाहिए थी।’

सिब्बल को शाह के बयान पर क्या है आपत्ति, जानिए

सिब्बल ने कहा, ‘आज मैं उन्हें समझाऊंगा कि अगर किसी को 2-3 साल से ज्यादा की सजा हो जाती है और अगर उसकी सजा पर रोक लग जाती है, तो वह नामांकन दाखिल कर सकता है और चुनाव लड़ सकता है। अगर किसी पर चार्जशीट दाखिल की जा रही है, तो वह प्रचार भी कर सकता है और नामांकन भी दाखिल कर सकता है। जैसे बृजभूषण के खिलाफ चार्जशीट दाखिल है तो वो अपने बेटे के लिए प्रचार क्यों कर रहे हैं? जिस पर आरोप लगे हैं, वह प्रचार क्यों नहीं कर सकता, क्यों? मेरा मानना है कि गृह मंत्री को कानून की इतनी जानकारी नहीं है। अगर उन्हें इस बारे में पता होता तो वह इस तरह के बयान नहीं देते।’

शाह ने केजरीवाल को अंतरिम जमानत दिए जाने पर क्या कहा?

दरअसल, अमित शाह ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट को कानून की व्याख्या करने का अधिकार है। मेरा मानना है कि यह कोई नियमित फैसला नहीं है। इस देश में बहुत से लोगों का मानना है कि विशेष छूट दी गई है।’ सिब्बल ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बड़ी चालाकी से मूल आपत्तियों को नजरअंदाज कर दिया। सिब्बल ने यह नहीं बताया कि अगर उनकी दलीलें केजरीवाल के लिए सही हैं तो झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर फिट क्यों नहीं बैठती हैं? कोर्ट ने केजरीवाल को अंतिरम जमानत तो दे दी लेकिन सोरेन पर अभी ईडी को शपथपत्र दाखिल करने को कहा है। इस मामले में सिब्बल ने चुप्पी साध ली है। अहम सवाल तो ये है कि सिब्बल तो वकील हैं, उनका दावा भी है कि वो कानून समझते हैं तो फिर इन सवालों के जवाब से क्यों बचे?

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