ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की हेलीकॉप्टर हादसे में मौत हो गई। उनकी मौत को लेकर साजिश की आशंका जताई जा रही है। अजरबैजान के जंगलों और पहाड़ों के पास दुर्घटनाग्रस्त रईसी के हेलीकॉप्टर का पता लगाने में ईरान सरकार को काफी मुश्किल आई थी। ईरान सरकार ने यूरोपीय यूनियन से क्रैश हेलीकॉप्टर का पता लगाने के लिए अपने कॉपरनिकस इमरजेंसी मैनेजमेंट सर्विस को एक्टिवेट करने का आग्रह किया था। कहा जा रहा है कि कॉपरनिकस की रैपिड रिस्पॉन्स मैपिंग सर्विस ने ही हेलीकॉप्टर की लोकेशन का पता लगाया था, जिसके बाद तुर्की के ड्रोन ने उसे खोज निकाला था।
कॉपरनिकस को कहते हैं धरती की आंख
कॉपरनिकस को धरती पर नजर रखने वाली यूरोप की आंखें कहा जाता है। इसका इस्तेमाल सिर्फ मानवीय मदद के लिए किया जाता है। रईसी के हेलीकॉप्टर की लोकेशन तलाशने से पहले यूरोपीय आपात प्रबंधन के कमिश्नर जेनेज लेनार्सिस ने साफ तौर पर कहा कि कॉपरनिकस का इस्तेमाल मानवीय वजहों के लिए किया जा रहा है, न कि राजनीतिक वजहों से किया जा रहा है।
कॉपरनिकस इमरजेंसी मैनेजमेंट सर्विस क्या है
कॉपरनिकस को 1998 में शुरू किया गया था। तब इसका नाम ग्लोबल मॉनिटरिंग फॉर एन्वॉयरनमेंट एंड सिक्योरिटभ् प्रोग्राम (GMES) कहा जाता था। यह सैटेलाइट्स की मदद से डेटा जुटाता है और दुनियाभर में सुरक्षा और पर्यावरण के बारे में लोगों को जानकारी देता है। यह यूरोपीय यूनियन के स्पेस प्रोग्राम का हिस्सा है, जो आपदा प्रबंधन, क्लाइमेट ट्रैकिंग, फॉर्मिंग और दूसरे अहम इलाकों के आंकड़े जुटाता है।
15वीं सदी के वैज्ञानिक कॉपरनिकस के नाम पर पड़ा
यूरोपीय यूनियन के इस प्रोग्राम का नाम 15वीं सदी के महान वैज्ञानिक कॉपरनिकस के नाम पर रखा गया। इसे धरती की निगरानी के लिए यूरोपीय यूनियन के स्पेस प्रोग्राम के हिस्से के तौर पर शुरू किया गया था। 1530 के पहले तक दुनिया यूनानी दार्शनिक अरस्तू की इस बात पर यकीन करती थी कि पृथ्वी पूरे ब्रह्मांड के केंद्र में है। सूर्य, तारे और दूसरे खगोलीय पिंड धरती का चक्कर लगाते हैं।
कॉपरनिकस ने बताया धरती लगाती है सूर्य के चक्कर
1530 के बाद यह धारणा तब बदली, जब पोलैंड के खगोलविद् और वैज्ञानिक निकोलस कॉपरनिकस ने दुनिया को यह क्रांतिकारी सूत्र दिया था कि पृथ्वी अंतरिक्ष के केंद्र में नहीं है। कॉपरनिकस की 1530 में एक किताब आई, जिसका नाम था-commentariolus। इसी किताब में उन्होंने बताया कि पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमती हुई एक दिन में चक्कर पूरा करती है और एक साल में सूर्य का चक्कर लगाती है। उन्होंने पृथ्वी को ब्रह्मांड के केंद्र से बाहर माना। इसे हीलियोसेंट्रिज्म मॉडल कहा गया।