दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी इथेरियम नई टेक्नोलॉजी का प्रयोग सफल रहा तो इससे कॉर्बन उत्सर्जन में 99 फीसदी तक की कमी आएगी। दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन को भी नई टेक्नोलॉजी में शिफ्ट होने का दबाव बढ़ेगा। क्रिप्टोकरेंसी डिजिटल मुद्रा है, जिसमें लोग एक-दूसरे को सीधे ऑनलाइन भुगतान करते हैं। हाल के वर्षों में क्रिप्टोकरेंसी में तेज वृद्धि चौंकाने वाली रही है। दुर्भाग्य से क्रिप्टोकरेंसी की खरीद और बिक्री का प्रबंधन करने वाले कंप्यूटरों द्वारा उपयोग की जाने वाली बिजली की भारी मात्रा के कारण जलवायु परिवर्तन में भी उनका योगदान रहा है। अकेले बिटकॉइन हर साल 150 टेरावाट घंटे बिजली की खपत करता है यानी बिटकॉइन हर साल अर्जेंटीना जैसे देशों में की तुलना में अधिक ऊर्जा खपत करता है।