दक्षिण सिनेमा में जिस तरह पुलिस लोगों को रोड पर दौड़ा-दौड़ा कर मारती है वैसे ही एक घटना वारासिवनी अंतर्गत ग्राम पंचायत रामपायली मैं 5 जुलाई की देर रात घटित होने की बात ग्रामीणों के द्वारा कही जा रही है। जिसमे कुछ घायल ग्रामीणों के द्वारा 6 जुलाई को अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय वारासिवनी पहुँचकर रामपायली पुलिस पर उनके साथ मारपीट किए जाने की शिकायत की गयी हैं। इनमें शिकायतकर्ता की घायल अवस्था देख कर एसडीओपी अरविंद श्रीवास्तव के द्वारा तत्काल उनकी एमएलसी करने का आदेश देते हुए मामले में जांच की जा रही है। जिसमें श्री श्रीवास्तव के द्वारा रामपाली थाना प्रभारी से पूछताछ कर मामले में आवश्यक पहलू को तलब किया जा रहा है। जिसमें घायल महिलाओं का उपचार शासकीय सिविल अस्पताल वारासिवनी में जारी है।
यह है मामला
ग्राम पंचायत रामपायली के अमई मार्ग स्थित दाजीबा नगर निवासी संजू देंढे की बेटी का 5 जुलाई को घर में फलदान कार्यक्रम था। जहां पर उनके मकान के पीछे का पड़ोसी युवक कार्य कर रहा था जो ग्राम की एक युवती को लेकर बहुत पहले चले गया था उसके बाद दोनों अलग अलग हो गए जिसके बाद से समाज के एक पक्ष के द्वारा उसका विरोध करते हुए 5 जुलाई की सुबह संजू देंढे के घर में आकर मारपीट की गई और घर मालिक के परिवार के लोगों से भी मारपीट की गई। जिस पर उन्होंने पुलिस मैं शिकायत की थी जिसके बाद संजू देंढे के द्वारा अपने मकान में अपनी बेटी का फलदान कार्यक्रम कुशलता से संपन्न किया गया जहां पर कन्हान से बरात आई हुई थी। जिसके बाद सभी रिश्तेदारों ने भोजन कर अपने अपने निवास के लिए प्रस्थान किया इसी दौरान ग्राम की महिला और संजू देंढे के परिवार के सदस्य रीता देढे, कमला देढे, रीना देढे, चंद्रमुखी पात्रे, साजन देढे, पूनम देढे, मंदा देढे, सभी निवासी वार्ड नं 03 रामपायली थाने के सामने के है जो फलदान में नंदा देढे के घर दजीबा नगर अमई रोड़ पर कार्यक्रम संपन्न होने के बाद वापस अपने घर जा रहे थे। इस दौरान बस स्टैंड में उन्हें जगदीश देंढे मिला जिससे विवाद होने पर दोनों पक्ष पुलिस थाना पहुंचे जहां पर जगदीश देंढे की शिकायत पर उक्त महिलाओं के बेटे और पति को पुलिस ने पकड़ लिया और सभी महिलाओं के को मारपीट कर थाने से भगाने का काम किया वही महिलाओं के भागने पर दौड़ दौड़ कर पुलिस के द्वारा मारे जाने का आरोप महिलाओं के द्वारा पुलिस पर लगाया जा रहा है। जिसके बाद वह महिलाएं सभी रामपायली सरपंच संदीप वाघमारे के निवास पर पहुंचे जहां पर सरपंच के द्वारा संजीवनी 108 की सहायता से सभी घायल महिलाओं को वारासिवनी सिविल अस्पताल भिजवाया गया जहां पर उनका उपचार जारी है। इस दौरान उन महिलाओं के द्वारा एसडीओपी कार्यालय वारासिवनी में जाकर घटना की शिकायत की गई है जिन्हें एसडीओपी अरविंद श्रीवास्तव के विधिवत कार्यवाही करने का आश्वासन दिया गया है।
ग्रामीण श्रीमती रीता देढे ने पदमेश से चर्चा में बताया कि वह रामपायली रहते हैं जहां पर फलदान कार्यक्रम में शामिल होने के लिए गए थे जहां पर खाना खाकर वापस अपने घर जा रहे थे। तभी रास्ते में जगदीश देंढे से विवाद हुआ जिसकी रिपोर्ट लिखाने के लिए हम थाने में गए तो वहां हमारी रिपोर्ट पुलिस के द्वारा नहीं लिखी गई और उपस्थित पुलिस वालों के द्वारा हमारे साथ मारपीट की गई। श्रीमती देंढे ने बताया कि हम छह सात महिलाएं थे जिन्हें रोड पर मारते हुए पुलिस वाले ले गए और चौक पर भी हमें मारपीट करें। हम जब दौड़ते थे तो पुलिस भी हमारे पीछे दौड़ कर हमें मारती थी हम चाहते हैं कि उन सभी पुलिस वालों पर कार्यवाही होनी चाहिए वरना हमें यह तो मार डालेगे।
श्रीमती कमला देढे ने बताया कि संजू देंढे नंदा देंढे के घर गए हुए थे अमई रोड में जहां से वापस आ रहे थे तो बीच में थाना है वहां बस स्टैंड चौक पर जगदीश देंढे मिला और विवाद हुआ तो पुलिस ने हमारी रिपोर्ट नहीं ली। जगदीश देंढे की रिपोर्ट ली और पुलिस वालों ने हमें मारा। श्रीमती देंढे ने बताया कि थाने के अंदर मारे फिर भगाया बड़ के झाड़ तक हमारे मुख्य रोड पर हम भागते थे तो पुलिस वाले दौड़ कर मारते थे हम सभी पुलिस वालों को पहचानते हैं नाम नहीं जानते हैं। हम चाहते हैं कि महिला पर हाथ उठाने वालों पर कार्यवाही हो।
श्रीमती रीना देढे ने बताया कि हम रिपोर्ट करने के लिए पुलिस थाना गए थे जगदीश देंढे बैठा था मेरे पति को पुलिस ने पकड़ लिया अब कहां लेकर गए या पता नहीं पर पुलिस वालों ने हमें बहुत दौड़ा दौड़ा कर मारा। जिस पर हम अपनी जान बचाकर सरपंच के घर जाए तो उसने हमें अस्पताल की गाड़ी बुलाया और फिर वारासिवनी अस्पताल आए जहां पर रात भर हमारा उपचार हुआ। श्रीमती देंढे ने बताया कि फिर सुबह वारासिवनी थाने में गए थे तो उन्होंने कहा कि एसडीओपी कार्यालय जाओ जिसके बाद हम यहां पर आए हैं। लेडीस पुलिस मारती तो चलता पर पुरुष पुलिस ने मारा है ऐसा ही रहा तो लेडीस थाने कैसे जायेगी किसी की मजबूरी रहती है तभी वह थाने जाती है। रात में जूते लात और लकड़ी से मार रहे थे यदि हमने से कोई मर जाता तो क्या होता बहुत खराब स्थिति थी हम जान बचाकर भागे हैं जो हम ही जानते हैं।
संजू देंढे ने बताया कि कुछ लोगों ने उनके घर में आकर सुबह मारपीट की उनके परिवार के साथ भी की थी जिस पर उनके द्वारा पुलिस थाने में शिकायत की गई थी। जिस पर पुलिस ने कार्यवाही करने का आश्वासन दिया था फिर वह अपने घर आये जहाँ फलदान के कार्यक्रम में जुट गये। जिसके बाद हमारे निवास से मेहमान खाना खाकर जा रहे थे तो जगदीश देंढे ने उनके साथ मारपीट किया यह वही महिलाएं है जो यहां पर शिकायत करने आई है। हमारे घर में कन्हान से बारात आई थी मगर पुलिस का नाम यह ले रहे हैं वह गलत है विवाद सुलझाने के लिए पुलिस डांटती जरूर है।
इनका कहना है
उक्त संबंध में बताया कि दिन में मारपीट की घटना हुई थी जिसकी रिपोर्ट थाने में हुई है और यह इनका सामाजिक कार्यक्रम में घटना घटी है जिससे ग्राम में तनाव था। पुलिस पर गलत आरोप है दोनों पक्ष ने आपस में मारपीट की है और इनका सामाजिक मामले पर वैमनस्यता चली आ रही है। जिसमें वैधानिक कार्यवाही की जायेगी।
अरविंद श्रीवास्तव
एसडीओपी वारासिवनी