घुटने टूट गए थे, व्हीलचेयर पर रहने को था मजबूर, फिर बिखरे निकोलस पूरन के लिए भगवान बने कायरन पोलार्ड

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नई दिल्ली: वेस्टइंडीज के खिलाड़ी निकोलस पूरन ने 29 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेकर सबको चौंका दिया है। T20I के पूर्व कप्तान हाल ही में लखनऊ सुपर जायंट्स (LSG) के लिए इंडियन प्रीमियर लीग में खेलते हुए दिखाई दिए थे। उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक भावपूर्ण संदेश के साथ अपने फैसले के बारे में बताया। अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में, पूरन ने 61 T20I और 106 एकदिवसीय मैच खेले हैं, जिसमें उन्होंने दोनों फॉर्मेट में 4000 से अधिक रन बनाए हैं। उन्होंने अपने संन्यास की घोषणा इंस्टाग्राम पर की।

निकोलस पूरन को लगी थी चोट

निकोलस पूरन के जीवन में एक समय ऐसा आया था जब सब कुछ मुश्किल लग रहा था। 20 साल की उम्र में एक सड़क दुर्घटना ने उन्हें हिला कर रख दिया था। छह महीने तक वह चल नहीं पाए थे। उनका भविष्य अनिश्चित था। तभी कायरन पोलार्ड एक फरिश्ते की तरह उनकी जिंदगी में आए। उन्होंने पूरन को हौसला दिया। आज पूरन दुनिया के सबसे खतरनाक बल्लेबाजों में से एक हैं। पोलार्ड पहले ही घुटने की चोट से जूझ चुके थे, जिसके कारण उन्हें 2013 से 2014 तक छह महीने तक बाहर बैठना पड़ा था। अपने अनुभव के साथ, पोलार्ड ने पूरन के लिए रिहैब मेंटर के रूप में काम किया।

पोलार्ड को मानते हैं बड़ा भाई

पूरन, पोलार्ड को अपना बड़ा भाई मानते हैं। उन्होंने कहा, ‘वह मेरे लिए बड़े भाई और पिता की तरह हैं। जब से मैंने क्रिकेट में वापसी की है, वह मेरे साथ हैं। उन्होंने मुझे मौका दिया। मैं उनका आभारी हूं।’ पूरन और पोलार्ड मैदान पर भी अच्छे दोस्त हैं। वे एक-दूसरे को समझते हैं। पूरन ने कहा, ‘हम एक-दूसरे को जानते हैं और मैदान के बाहर भी अच्छे दोस्त हैं। इसलिए हम बल्लेबाजी करते समय एक-दूसरे को समझते हैं।’

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