कश्मीर में आर्टिकल 370 पर फिर से विचार करने को लेकर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बयान पर उनके छोटे भाई लक्ष्मण सिंह की पत्नी रूबीना सिंह का दर्द छलका है। रूबीना का कहना है कि आर्टिकल 370 का दर्द मैंने भोगा है। दिल्ली में घर नहीं होता तो कहां जाती, जिनका नहीं था, उनका क्या हुआ होगा? कांग्रेस को साफ करना चाहिए कि क्या वाकई 370 को लेकर उसकी फिर से विचार करने की योजना है जैसा कि बयान दिया जा रहा है।
दैनिक भास्कर संवाददाता ने इस मुद्दे पर रूबीना सिंह से चर्चा की, पढ़िए क्या कहा उन्होंने-
इस पूरे मुद्दे पर आपका क्या कहना है?
जवाब- मुझे जो कहना था, वह मैं ट्वीट के जरिए कह चुकी हूं। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। कश्मीरी पंडितों को लेकर इस तरह की गैरजरूरी बात की जा रही हैं। यह बहुत पीड़ादायक है। मैं इसे मुद्दा नहीं बनाना चाहती हूं। कांग्रेस को सोचना चाहिए कि ये क्या हो रहा है।
कश्मीरी पंडितों और उनके आरक्षण को लेकर आपकी क्या राय है?
जवाब- कश्मीरी पंडितों के आरक्षण को लेकर जो बात कही जा रही है, वह तार्किक रूप से ही गलत है। उनके लिए कोई आरक्षण कभी था ही नहीं। मुझे यह समझ में नहीं आ रहा कि इस विषय को क्यों लाया जा रहा है।
आर्टिकल 370 पर आपके क्या विचार हैं?
जवाब- मैं यह कह सकती हूं कि ज्यादातर कश्मीरी आर्टिकल 370 हटाने के फैसले से खुश हैं। इसके लागू रहने के दौरान कश्मीरी पंडितों के साथ कैसा बर्ताव किया जाता था, यह किसी से छिपा नहीं है। वे उस समय खुश नहीं थे। सरकारों ने उनके लिए कोई खास कोशिश नहीं की। न ही कांग्रेस और न ही बीजेपी ने कुछ किया। जैसा उनके (दिग्विजय सिंह) मामले में आया है कि कांग्रेस सत्ता में आने पर 370 पर पुनर्विचार करेगी तो कांग्रेस को यह साफ करना चाहिए कि क्या वाकई ऐसी कोई योजना है?
दिग्विजय सिंह के इस मामले को कैसे देखती हैं?
जवाब- वे मेरे जेठ हैं। हम इसे पारिवारिक मामला नहीं बनाना चाहते। ये मेरी समझ से परे है कि वे इस मसले को क्यों उठा रहे हैं। वह भी एक पाकिस्तानी पत्रकार से…यह कतई सही नहीं है। कश्मीर पर ऐसा बयान जनता की भावनाओं को ठेस पहुंचा सकता है। मैं उनसे इस मामले पर झगड़ा नहीं कर रही हूं। सिर्फ यह बताना चाह रही हूं कि यह गलत है। यह जो हुआ है, वह ज्यादातर कश्मीरी पंडितों को ठेस पहुंचा रहा है। लोकतंत्र में उन्हें अपनी बात रखने की पूरी आजादी है, पर हमें बहुत दुख हुआ है।
आप कश्मीर से ताल्लुक रखती हैं?
जवाब- मैं मूल रूप से कश्मीरी हूं। मेरी मां कश्मीरी हैं। हमारे वहां दो घर थे। एक श्रीनगर में और एक गुलमर्ग में। जब यह समस्या (कश्मीरी पंडितों वाली) शुरू हुई, उस दौरान हमने अपने दोनों घर खो दिए। हमें घर छोड़कर दिल्ली आना पड़ा। किसी भी सरकार ने हमारी न ही चिंता की और न ही मदद की। न ही इन सब नुकसानों की भरपाई की।
बीजेपी ने भी कोई मदद नहीं की। ये एकदम साफ है कि कश्मीरी पंडितों की किसी ने भी सहायता नहीं की। यह बहुत पीड़ादायक था। जब हमने उस भयानक दौर के बाद जीवन फिर से शुरू करना चाहा, तब भी कहीं से कोई मदद नहीं मिली। अगर हमारे पास दिल्ली में घर नहीं होता तो हम लोगों का क्या होता। हमारे पास तो व्यवस्था थी तो हम दिल्ली चले आए, उनका क्या हाल हुआ होगा जिनके पास कुछ था ही नहीं।
फिर से यह मुद्दा सामने आया है, इसे किस प्रकार देखा जाना चाहिए?
जवाब- मैंने वो ट्वीट गुस्से में नहीं किया है, वो मेरी पीड़ा है। जिस देश से हम लड़ रहे हैं, उसी देश के पत्रकार के सामने हमें जलील किया जा रहा है। यह गलत है। कांग्रेस के कई नेता भी आर्टिकल 370 को लेकर इसी तरह की बात कहते आए हैं।
समस्या यह है कि ज्यादातर भारतीयों ने कश्मीरियों को भारतीय माना ही नहीं। सरकार को कश्मीर को जरूरी मुद्दा बनाना चाहिए, क्योंकि अभी कश्मीर की बात है। अगर कश्मीर के लोग उधर चले गए तो वे फिर पंजाब के लिए आएंगे। इसलिए यह बेहद जरूरी है कि हम अपनी जमीन पर पकड़ बनाए रखें। यह हमारी जमीन है।
सरकारों का क्या रवैया रहा है?
जवाब- ज्यादातर सरकारों ने वहां की जनता के साथ छल किया है। अब्दुल्ला परिवार ने कश्मीर के लिए कुछ नहीं किया। उन्होंने सीमा पार के लोगों तक को भारत अधिकृत कश्मीर में बसाया ताकि उन्हें चुनाव में फायदा मिल सके। इसी वजह से वहां हिन्दुओं को बुरी तरह प्रताड़ित किया गया। उसके बाद सभी सरकारों ने भी अपने चुनावी फायदे के लिए ही कश्मीरियों का इस्तेमाल किया है। आरक्षण की बात कही जा रही है, यह गलत है। हमें कुछ नहीं दिया गया। हमने अपनी जंग खुद लड़ी है।