जब भोपाल ही जाना था तो बालाघाट क्यों ? : उमेश बागरेचा

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By : Umesh Bagrecha

पूर्व विधायक किशोर समरिते को गिरफ्तारी के 10 दिन बाद भोपाल की कोर्ट से जमानत मिल गई है। श्री समरीते को भरवेली पुलिस ने गत 12 जून को सुबह उनके भोपाल स्थित निवास से गिरफ्तार कर रात्रि में भरवेली लाया गया था । दूसरे दिन 13 जून को रविवार की छुट्टी होने के चलते बालाघाट में न्यायालय प्रथम श्रेणी की अदालत में पेश किया गया था , जहां श्री समरिते की ओर से पेश की गई जमानत याचिका खारिज हो गई थी । इसके बाद जमानत याचिका जिला एवम सत्र न्यायाधीश की अदालत में पेश की गई थी, वहां से भी जमानत याचिका खारिज हो गई। याचिका खारिज करने का कारण माननीय अदालत के अनुसार वर्तमान या पूर्व विधायक ,सांसदों के प्रकरण की सुनवाई का क्षेत्राधिकार भोपाल की विशेष अदालत को ही है। अत: समरिते का प्रकरण भोपाल की अदालत में ट्रांसफर हो गया। आज भोपाल की विशेष अदालत से किशोर समरिते को जमानत मिल गई। इस तरह गिरफ्तारी के 11वे दिन अर्थात कल 22 जून को किशोर समरिते जेल से बाहर आ जायेंगे। अब यहां हम एक दूसरा सवाल उठा रहे हैं? किशोर समरिते पर आरोप लगा, प्रकरण दर्ज हुआ, गिरफ्तारी हुई, इस पर हमें कोई टिप्पणी नहीं करना है, किंतु गिरफ्तारी के बाद उन्हें भोपाल की अदालत में पेश ना कर बालाघाट लाये जाने और अदालत में पेश किए जाने पर जरूर कुछ कहना है। किशोर समरिते के बालाघाट आ जाने से लेकर अदालत में पेश होने तथा सरकारी वकील द्वारा अदालत के क्षेत्राधिकार से प्रकरण को बाहर का बताए जाने के पूर्व तक क्या जिले की पुलिस को यह ज्ञात नही था कि, विधायक ,सांसदों के प्रकरण जिले में नहीं भोपाल में ही प्रस्तुत करने होते है, या फिर मालूम रहने के बावजूद जानबूझकर श्री समरिते को बालाघाट लाया गया था? चूंकि यह जन चर्चा का विषय बना हुआ है कि पूर्व सांसद एवं विधायक कंकर मुंजारे को गत वर्ष जुलाई 2020 में वारासिवनी की एक अदालत से जमानत मिल गई थी? यहां श्री मुंजारे और श्री समरिते दोनो ही पूर्व विधायक है। ज्ञात हो कि आबकारी ठेकेदार राजेश पाठक की शिकायत पर किशोर समरिते पर धारा 386,389 तथा 452 के तहत भरवेली थाने में प्रकरण दर्ज हुआ था ।

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