जबलपुर: जमानत बांड तथा जुमाने की राशि नही होने के कारण एक महिला विगत पांच सालों से जेल में निरूध्द थी। हाईकोर्ट जस्टिस विवेक अग्रवाल तथा जस्टिस एके सिंह की युगलपीठ ने प्रकरण को दुर्लभतम में से दुर्लभतम मानते हुए आरोपी महिला को दस हजार के निजी मुचलके पर रिहा करने के राहतकारी आदेश जारी किये हैं।
पांच सालों से जेल में बंद थी महिला
जबलपुर हाईकोर्ट ने एक महिला को बड़ी राहत दी है। विद्या बाई नाम की यह महिला पिछले पांच सालों से जेल में बंद थी। वह जमानत बांड और जुर्माना भरने में असमर्थ थी। कोर्ट ने इस मामले को दुर्लभ मानते हुए उसे 10 हजार के निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया है।
पति की हत्या के चलते मिला था आजीवन कारावास
दरअसल, विद्या बाई को 2014 में पति की हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। उसने हाईकोर्ट में अपील की थी। हाईकोर्ट ने जनवरी 2020 में उसकी सजा को निलंबित कर दिया और जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। लेकिन, वह आर्थिक तंगी के कारण जमानत बांड और जुर्माना नहीं भर पाई। इसलिए वह रिहा नहीं हो सकी।
कोर्ट में लगाई थी गुहार
विद्या बाई ने कोर्ट से निजी मुचलके पर रिहा करने की गुहार लगाई थी। आवेदन में आग्रह किया गया कि अपीलकर्ता को निजी मुचलके के रिहा करने के आदेश जारी किये जाएं। कोर्ट ने उसकी अपील को स्वीकार कर लिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि एक संस्था ने जुर्माने की राशि अदा कर दी है।
कोर्ट ने माना रेयरेस्ट ऑफ रेयर मामला
जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस ए. के. सिंह की युगलपीठ ने कहा कि यह मामला दुर्लभतम से दुर्लभतम है। युगलपीठ ने आदेश में कहा है कि मामला दुर्लभतम से दुर्लभतम होने के कारण अपीलकर्ता को रियायत प्रदान की जा रही है। कोर्ट ने यह भी कहा कि सजा के निलंबन के दौरान महिला की स्वतंत्रता खतरे में थी। अब विद्या बाई जल्द ही जेल से रिहा हो जाएगी।










































