जिले भर में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया पोला पाटन पर्व

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प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी जिला मुख्यालय सहित अन्य तहसील व ग्रामीण अंचलों में पोला पाटन पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। जहां जिलेभर में जगह-जगह विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन किए गए। सोमवार को बैलों की पूजा अर्चना का पर्व पोला पारम्परिक रीति-रिवाज के अनुसार मनाने के दौरान ग्रामीणों में खासा उत्साह नजर आया। किसानों का उपयोगी साथी एवं भगवान शंकर के परम भक्त नंदी बैलों को मवेशी मालिकों द्वारा नहलाकर रंग-बिरंगी कलर कर, सिंगो में चमकीला बेगड़ लगाया गया। वही गुब्बारा बांधकर फूलों का हार पहनाकर दूल्हें की तरह सजाया गया। जिसके बाद बैल जोड़ी को पोला मैदान में ले जाया गया। जहां गांव के बच्चे युवा व बुर्जुग महिला पुरूष पोला मैदान में एकजुट हुये। इस अवसर पर गांव के मुखिया के घर से ढोल नगाड़ों के साथ आरती की थाल सजाकर पोला मैदान लाई गई। जहां सभी बैलजोडिय़ों की पूजा अर्चना कर लोकगीत गाए गए।वही बैलों के पैर पखार कर उनकी विशेष पूजा अर्चना की गई। जिसके उपरांत उपस्थितजनों ने एक दूसरे को चांवल का तिलक लगाकर छोटे ने बड़े बुर्जुगों का आशीर्वाद लिया व पोला पर्व की बधाई देकर बैलजोड़ी दौड़ाई गई।

बैल जोड़ी को घर घर परोसा गया विशेष भोजन
पोला पर्व के बाद मवेशी मालिको द्वारा अपने घरों में बैल जोड़ी को ले जाकर उसकी आरती उतारी वही घर में बने स्वादिष्ट पकवान खिलाकर उसकी पूजा की। तत्पश्चात गांव में आस-पास पड़ोस में बैल जोड़ी को लोगों के घर-घर ले जाया गया। जहां बैलों की आरती उतारकर तिलक लगाकर पूजा कर उन्हें पकवान खिलाया गया और बैल जोड़ी लाने वालों को भी तिलक लगाकर उपहार दिया गया।शहर मुख्यालय के वार्ड नंबर 33 गायखुरी दुर्गा चौक में पोला भराया गया। वहीं जय हिन्द टॉकीज मैदान, सरेखा मैदान व बूढ़ी अस्पताल चौक में पोला भराया गया। बैलजोड़ी की पूजा अर्चना कर बैल जोड़ी दौड़ाया गया।

आम की तोरन के नीचे लाइन से खड़ी की गई बैल जोड़ी
ग्रामीण अंचलों में पाटन पोला पर्व पर आखर मैदान में यह उत्साह मनाया गया।जहा आम के पत्ते की बनी तोरन के सामने सभी ग्रामीणों ने अपनी अपनी बैल जोड़ी लाइन से ख़डी की, वही स्थानीय नागरिको, व प्रतिष्ठित ग्रामीणों मे स्थानीय मंदिरो मे विशेष पूजा अर्चना कर बैल जोड़ी क़ो तिलक लगाकर पूजा की. जहाँ पूजा सम्पन्न कर ग्रामीणों ने पत्ते से बनी तोरन लूट कर अपनी अपनी बैल जोड़ी क़ो दोड़ाते हुए घर ले गए. जहाँ बैल जोड़ी क़ो किसानों ने घर मे पकवान बनाकर अपने हाथों से खिलाया. वही कृषि कार्य मे सहयोग करने के लिए उनका आभार जताया.

परंपरा व संस्कृति से जुड़ा है पर्व
बालाघाट जिला मध्यप्रदेश का सबसे अधिक धान उत्पादक जिला है जो महाराष्ट्र व छत्तीसगढ़ की परंपरा व संस्कृति से जुड़ा है। जिसके चलते बालाघाट जिले में पोला के त्योहार का खास महत्व है।इस दिन किसान बैलों को दूल्हे की तरह सजाकर उन्हें पकवान खिलाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन किसान बैलाें की सेवा उनका कृषि कार्य में सहयोग के लिए उपकार मनाते है। जिसके चलते यहां पोला किसानों का प्रमुख त्योहार माना जाता है।

कोसमी व बगदरा में बैल जोड़ी प्रतियोगिता का हुआ आयोजन
नगर मुख्यालय से लगे ग्राम कोसमी में प्रतिवर्ष के अनुसार इस वर्ष से भी पारंपरिक तरीके से पाटन पोल का पर्व मनाया गया। जहां पूर्व वर्षो की भांति सभी किसान अपनी अपनी बैल जोड़ी को सजाकर आखर मैदान पहुचे, जहां विशेष पूजा अर्चना के बाद पाटन पर्व के अवसर पर बैल जोड़ी दौड़ प्रतियोगिता कराई गई।वही आकर्षक कट काठी और बहतरीन सजावट के आधार पर ईनाम दिए गए जहा प्रथम, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ व पाँचवे स्थान आने वाली बैल जोड़ी मालिको को नगद राशि, स्मृति सहित अन्य पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। वहीं ग्राम बगदरा में भी पाटन पोला पर्व की धूम देखने को मिली। जहां वर्षों से चली आ रही परंपरा को निभाते हुए पारंपरिक तरीके से यह पर्व मनाया गया। जिसका स्थानीय ग्रामवासियों ने जमकर उठाया।

बच्चों में पर्व विशेष को लेकर देखा गया खासा उत्साह
पोला पाटन पर्व पर खासकर बच्चो में खासा उत्साह देखा गया।बच्चों द्वारा भी तान्हा पोला के रूप में पर्व मनाकर मिट्टी व लकड़ी से बने बैलों को रंग रोगन कर आर्कषक सजाकर लोगों के घर-घर ले जाया गया। जहां बच्चों को उपहार दिया गया। इस पर्व को लेकर बाजार में पूजन सामग्री व मिट्टी व लकड़ी से बने बैलों व मिट्टी के खिलौने की दुकानें सजी रही।

यह वर्षों से चली आ रही परंपरा है-गगन नगपुरे
कोसमी में आयोजित तन्हा पोला पर्व को लेकर की गई चर्चा के दौरान सरपँच प्रतिनिधि गगन नगपुरे ने बताया कि हिंदू संस्कृति के हिसाब से आज पोला पर्व मनाया जा रहा है. यह वर्षों से चली आ रही परंपरा है जिसे आज भी लोग निभा रहे हैं. किसान लोग खेती खुशहाली के लिए इस पर्व को मनाते हैं. स्थानिक ग्रामीण लोग अधिक से अधिक मवेशी पाले इसीलिए पिछले तीन वर्षों से प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है।जिसमें सुंदर व आकर्षक दिखने वाली बैल जोड़ी को पुरस्कार करने का काम भी किया जाता है। आज इस पर्व विशेष पर पांच बैल जोड़ी मालिकों को नगद इनाम स्मृति चिन्ह देकर पुरस्कार किया गया है।

कृषि कार्य मे सबसे मददगार बैल होते है-चंद्रशेखर नगपुरे
वही पर्व विशेष क़ो लेकर की गईं चर्चा के दौरान ग्राम बगदरा सरपँच प्रतिनिधि चंद्रशेखर नगपुरे ने बताया कि खेती किसानी के कार्य में किसान के सबसे मददगार बैल होते है और बारिश के दौरान फसल की सीजन आने पर खेत को तैयार करने से लेकर रौपे जाने तक बैल किसानी की मदद करते है।इसी लिए आज के दिन उनकी पूजा की जाती है। उनके विशेष योगदान के लिए उनका आभार प्रकट किया जाता है। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी यह पर्व हमारे गांव में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया है।.

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