ट्रेन की चपेट में आने से मादा चीतल की मौत

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यू तो वन्य प्राणियों की सुरक्षा को लेकर वन विभाग द्वारा सार्थक कदम उठाए जा रहे है लेकिन जंगल मार्ग में बिछाई गई रेलवे ट्रेक से गुजरने वाली ट्रेनों से वन्य प्राणियों को बचाने के प्रयास नही किए गए है। जिसके चलते अक्सर ट्रेन की चपेट में आने से वन्य प्राणियों की मौत हो जाती है।जहा ट्रेन की चपेट में आने से वन्य प्राणियों की मौत के मामले आए दिनों आते रहते है।बावजूद इसके भी जिम्मेदारो ने इन घटनाओं से अब तक कोई सबक नही लिया है।जिले में लगातार बढ़ती जा रही इन्ही घटनाओं के बीच बालाघाट वन परिक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले रेंजर कॉलेज के पीछे से गुजरने वाली रेलवे लाईन में ट्रेन की चपेट में आने से एक 2वर्षीय मादा चीतल की मौत हो गई।यह घटना बुधवार की प्रथम पहर रात्रि लगभग 03 बजे की बताई जा रही है, बताया जा रहा है कि बुधवार की सुबह कुछ लोग रेलवे ट्रेक से गुजर रहे थे जिन्होंने रेलवे ट्रेक पर चीतल के ट्रेन के टकराने की खबर रेलवे विभाग नेे वनविभाग को दी गई। गौरतलब हो कि बालाघाट वन परिक्षेत्र के बजरंग घाट जंगली क्षेत्र में वन्यप्राणी चीतल की हमेशा मौजूदगी देखी गई है। लोगों को भ्रमण के दौरान अक्सर चीतल, यहां दिखाई देती है लेकिन इसी क्षेत्र से गुजरने वाली रेलवे लाईन पर दौड़ने वाली ट्रेन से वन्यप्राणी चीतल के साथ पहले भी घटनाएं हो चुकी है, लेकिन इसकी सुरक्षा को लेकर कोई ठोस उपाय नहीं किए जाने से चीतलो के ट्रेक पर दौड़ने वाली ट्रेन से टकराकर मौत की घटनाएं हो रही है। जिसपर विभाग का कोई ध्यान नही है।

वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित कर अंतिम संस्कार कराया गया है- चौरे
इस पूरे मामले को लेकर दूरभाष पर की गई चर्चा के दौरान वन परिक्षेत्र सहायक अजय चौरे ने बताया कि 08 मई की सुबह विभाग को सूचना मिली थी कि परिक्षेत्र के कक्ष क्रमांक 818 में चीतल का शव पड़ा है। जिसकी जानकारी के बाद विभागीय अमला, घटनास्थल पहुंचा। जहां दो वर्षीय मृत चीतल का शव पड़ा था। जिसकी सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को देखकर आवश्यक कार्यवाही की गई है। वही चीतल का शव बरामद कर शव का पोस्टमार्टम करवाकर विधिवत, उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया।

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