डायनासोर का खात्मा करने वाला उल्कापिंड कहां से आया था, अंतरिक्ष में यहां बनी थी महाविनाश की चट्टान, स्टडी में खुलासा

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पृथ्वी पर आज से 6.6 करोड़ साल पहले डायनासोर का राज हुआ करता था। इनके विलुप्त होने के बीछे एक उल्कापिंड को कारण माना जाता है, जिसके पृथ्वी पर गिरने से ऐसी तबाही मची कि पूरी धरती से डायनासोर मिट गए। साइंस जर्नल में गुरुवार को इससे जुड़ा एक नया अध्ययन प्रकाशित हुआ है। इसमें वैज्ञानिकों ने बताया कि आखिर डायनासोर को धरती से खत्म करने वाला उल्कापिंड कहां से आया था। शोधकर्ताओं ने कहा कि यह उल्कापिंड बृहस्पति की कक्षा से दूर पैदा हुआ था। उल्कापिंड के गिरने से मेक्सिको में एक विशाल गड्ढा बना जिसे चिक्सुलब क्रेटर कहा जाता है। इसका ज्यादातर हिस्सा समुद्र में है।

वैज्ञानिकों ने क्रेटर के तटछट के नमूनों का विश्लेषण किया, जिससे यह पता चला कि ये एक C-टाइप का एस्टेरॉयड था। यह पहले के उन दावों का खंडन करता है, जिसके मुताबिक यह एस्टेरॉयड नहीं बल्कि धूमकेतु था। ये स्टडी पृथ्वी पर आकाशीय पिडों की उत्पत्ति और प्रभावों के बारे में ज्यादा जानकारी देती है। शोधकर्ताओं ने प्रभाव के समय तलछट के नमूनों में रूथेनियम के आइसोटोप मापने के लिए एक अनोखी तकनीक का इस्तेमाल किया। रूथेनियम तत्व एस्टेरॉयड में आम है, लेकिन पृथ्वी पर दुर्लभ है। इससे वैज्ञानिकों को यह पुष्टि करने में मदद मिली कि नमूनों में तत्व विशेष रूप से टक्कर से प्रभाव से आया।

कहां से आया था उल्कापिंड?

कोलोन विश्वविद्यालय के भू-रसायनज्ञ मारियो फिशर-गोडे इस स्टडी के प्रमुख लेखक हैं। उन्होंने अपनी स्टडी के निष्कर्षों के महत्व पर जोर दिया। एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा, ‘हम अपनी सभी जानकारी के आधार पर कह सकते हैं कि यह एस्टेरॉयड बृहस्पति से भी आगे से आया था।’ निष्कर्ष विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस प्रकार के एस्टेरॉयड के साथ टक्कर दुर्लभ है। इन घटनाओं को समझ कर हम भविष्य में ऐसे किसी भी खतरे से बच सकते हैं। साथ ही यह सुराग मिल सकता है कि आखिर पृथ्वी पर पानी कहां से आया।

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