डिजिटल बैंकों को बढ़ावा देने नियामक रूपरेखा बनाना चा‎हिए: नीति आयोग

0

नीति आयोग ने कहा है कि भारत के पास डिजिटल बैंकों की सुविधा देने के लिहाज से आवश्यक प्रौद्योगिकी है और इसे बढ़ावा देने के लिए नियामक रूपरेखा बनाने की जरूरत होगी। आयोग ने डिजिटल बैंकः भारत में लाइसेंसिंग और नियामकीय व्यवस्था के लिए एक प्रस्ताव शीर्षक की अपनी रिपोर्ट में देश में डिजिटल बैंक लाइसेंसिंग और नियामकीय व्यवस्था के लिए एक खाका तैयार किया है। उसने कहा कि भारत की सार्वजनिक डिजिटल अवसंरचना यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के जरिए लेनदेन मूल्य के आधार पर 4000 अरब डॉलर को पार कर चुका है। रिपोर्ट में कहा गया ‎कि आधार सत्यापन 55000 अरब के पार चला गया है। अंतत: भारत अपने स्वयं के खुले बैंकिंग ढांचे को संचालित करने के लिए तैयार है। इन सूचकांकों से पता चलता है कि भारत के पास डिजिटल बैंकों को पूरी तरह से संचालित करने के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने कहा ‎कि यह अगले चरण का वित्तीय समावेशन है। वहीं नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी परमेश्वरन अय्यर ने कहा ‎कि नीति आयोग ने अपनी रिपोर्ट में डिजिटल बैंक लाइसेंसिंग और नियामक रूपरेखा का जो प्रस्ताव दिया है वह डिजिटल भविष्य की दिशा में एक बड़ी पहल होगा। आयोग की रिपोर्ट में कहा गया ‎कि डिजिटल बैंकिंग नियामक रूपरेखा और नीति के लिए ब्लूप्रिंट तैयार करने के साथ भारत के पास फिनटेक क्षेत्र में वैश्विक नेता के तौर पर अपनी स्थिति को मजबूत करने का अवसर होगा। इसके साथ ही देश सार्वजनिक नीति संबंधी अनेक चुनौतियों का समाधान भी करने में सक्षम होगा। पिछले वर्ष नीति आयोग ने “डिजिटल बैंकः भारत में लाइसेंसिंग और नियामकीय व्यवस्था के लिए एक प्रस्ताव शीर्षक वाला एक चर्चा पत्र जारी करके उस पर टिप्पणियां मांगी थीं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here