इस साल इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने के ट्रेंड में बड़ा बदलाव आया। कोविड महामारी से पहले ओपीडी कवरेज लेने वाले न के बराबर थे। इस साल ये कवरेज लेने वाले लोग 19.8% बढ़ गए। औसत सम एश्योर्ड में भी 58% बढ़ोतरी हुई।
पॉलिसी बाजार के आंकड़े कहते हैं कि हेल्थकेयर खर्च में सिर्फ ओपीडी (यानी अस्पताल में भर्ती हुए बगैर डॉक्टरी परामर्श, टेस्ट और दवाओं के खर्च) की हिस्सेदारी 70% तक होती है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भी देश में लोग इलाज पर सालाना खर्च का करीब 53% जेब से चुकाते हैं।
यही वजह रही कि 2022 में हेल्थ इंश्योंरेस पॉलिसी के साथ ओपीडी कवर खरीदने का ट्रेंड जोर पकड़ा। एक्सपर्ट के मुताबिक, बिना ओपीडी और ओपीडी कवरेज सहित कॉम्प्रिहेंसिव हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम में 10% से लेकर 20% तक का अंतर हो सकता है।
एक साल में औसत सम एश्योर्ड 9 लाख से बढ़कर 14 लाख रुपए से ज्यादा हुआ
2021 में औसत सम एश्योर्ड 9 लाख रुपए था। 2022 में ये 58% बढ़कर 14.2 लाख रुपए हो गया। टियर-2/3 शहरों में ऑनलाइन हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने वाले ग्राहकों की संख्या 2021 के 38% से बढ़कर इस साल 45% हो गई। कॉम्प्रिहेंसिव हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में निवेश करने वाले वरिष्ठ नागरिकों की संख्या 2021 के 22% से बढ़कर 26% हो गई। इसी तरह, हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने वाले युवाओं (35 वर्ष) की हिस्सेदारी 2021 के 30% से बढ़कर 36% हो गई।
ओपीडी कवरेज से इलाज खर्च में 50% से ज्यादा की बचत
पॉलिसीबाजार डॉट कॉम के हेल्थ इंश्योरेंस बिजनेस हेड सिद्धार्थ सिंघल ने कहा कि देश में स्वास्थ्य सेवाएं महंगी हुई हैं। इसके चलते लोग ओपीडी कवर वाली कॉम्प्रिहेंसिव हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीद रहे हैं। ओपीडी कवर से डॉक्टर की सलाह और बिना भर्ती हुए इलाज जैसे खर्च कवर किए जाते हैं। इससे इलाज पर 50% से ज्यादा बचत होती है।