देश में गहराते बिजली संकट पर अब केन्द्र सरकार गंभीर दिख रही है। इस मुद्दे पर विचार-विमर्श के लिए सोमवार को गृहमंत्री अमित शाह ने अपने आवास पर एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई। इस बैठक में ऊर्जा मंत्री आरके सिंह, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी भी मौजूद हैं। दरअसल भीषण गर्मी और लू की वजह से देश भर में बिजली की डिमांड बहुत बढ़ गई है। आंकड़े बताते हैं कि बिजली की मांग 13.2 फीसदी बढ़कर 135 बिलियन किलोवॉट पर पहुंच गई है। उत्तर भारत में बिजली की जरूरत में 16 फीसदी और 75 फीसदी के बीच इजाफा हुआ है। इतनी आपूर्ति नहीं हो पाने की वजह से कई राज्यों में घंटों बिजली कटौती हो रही है।
उधर पॉवर स्टेशन में ज्यादा बिजली पैदा करने के दबाव की वजह से कोयले की खपत बढ़ गई है। ऐसे में कई राज्य कोयले की कमी की भी शिकायत कर रहे हैं। रेलवे ने कोयले की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने और मालगाड़ियों को रास्ता देने के लिए करीब 700 सवारी गाड़ियों का परिचालन भी रद्द कर दिया है। इसके बावजूद राज्य सरकारें कोयले की कमी का मुद्दा उठा रही हैं। दिल्ली सरकार में मंत्री सत्येंद्र जैन ने हाल ही में कहा कि पर्याप्त रेलवे रैक उपलब्ध नहीं होने से कोयला की गंभीर कमी है और अगर पॉवर प्लांट बंद किए गए तो बिजली सप्लाई करने में परेशानी आ सकती है।
देखा जाए, तो इस संकट के पीछे दो वजहें हैं – एक तो बिजली घरों में कोयले के स्टॉक का कम होना और दूसरा बढ़ती गर्मी के चलते बिजली की डिमांड का रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाना। इसी का हल निकालने के लिए गृहमंत्री के आवास पर बैठक हो रही है। माना जा रहा है कि इस बैठक में कोयले के ट्रांसपोर्टेशन को लेकर विशेष चर्चा होगी। बैठक के बाद, कोयले की सप्लाई को कैसे बाधित होने से रोका जाए, ताकि सभी राज्यों में कोयले की सप्लाई ठीक से हो सके और बिजली संकट को रोका जा सके, इसका समुचित समाधान के लिए प्रभावी कदम उठाये जा सकते हैं।