जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर स्थित सरदारपुर तहसील के राजगढ़ में श्रद्धालुओं की आस्था के प्रमुख केंद्र पांच धाम एक मुकाम माताजी मंदिर में वैसे तो हर दिन श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है, लेकिन नवरात्र पर यहां विशेष रूप से भक्त आते हैं। दरअसल, यहां प्रतिवर्ष नवरात्र के अंतिम दो दिन यानी अष्टमी और नवमी पर सूर्योदय से सूर्यास्त तक मां कामाख्या देवी के दर्शन गर्भगृह में करने का अवसर श्रद्धालुओं को मिलता है। मां के दर्शन के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से मंदिर पहुंचते हैं।
इतिहासमंदिर में विराजित मां कामाख्याजी के स्वरूप को मंदिर के संस्थापक स्वामी मुरलीधर भारद्वाज ने स्थापित किया था। मां कामाख्या का मुख्य मंदिर असम में है। तप, साधना, अनुष्ठानों से यहां मां की स्थापना वर्ष 1950 के आसपास हुई। बताया जाता है कि गुरुजी ने आसाम से यहां पहुंचकर गर्भगृह में मां को स्थापित किया और लंबे समय तक एकांतवास में ही मां का पूजन-अर्चन किया गया। विशेषता यह है कि मां के दर्शन करने मात्र से सभी प्रकार की न सिर्फ इच्छाओं की पूर्ति संभव हो जाती है, अपितु व्यक्ति भयमुक्त होकर खुद को धन्य महसूस करता है।
अंश स्वरूप के दर्शन होते हैं वर्षभरपूर्व में यहां पर गर्भगृह में जाने की अनुमति किसी को भी नहीं थी, लेकिन भक्तों के आग्रह पर और मां की इच्छानुसार इसे वर्ष में चार बार यानी दोनों ही नवरात्र के दौरान अष्टमी और नवमी पर आम भक्तों के दर्शन के लिए खोला जाता है। गर्भगृह में विराजित मां के स्वरूप के अंश को मंदिर में ऊपर की तरफ विराजित किया गया है, जिसके दर्शन वर्षभर श्रद्धालुओं को होते हैं।