नक्सल उन्मूलन अभियान के 32 बरस में ये साल रहा बड़ी उपलब्धियों वाला

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एक के बाद एक एनकाउंटर में नक्सलियों को मार गिराने के बाद पुलिस के हौसले के बुलंद हैं। बात करें गुजरते हुए इस साल की तो ये वर्ष नक्सल उन्मूलन के लिहाज से भी बेहद खास और बड़ी उपलब्धियों से भरा है। बालाघाट जिले के इतिहास में पहली बार एक साल में पुलिस और हॉकफोर्स के जवानों ने 6 नक्सलियों को मार गिराया है। मध्यप्रदेश में 1990 से चल रहे नक्सल उन्मूलन अभियान के तहत 32 साल में कभी भी जवानों ने एक वर्ष में इतने नक्सली नहीं मारे हैं। सोमवार को पुलिस कंट्रोल रूम में आईजी संजय कुमार ने रविवार को हुई मुठभेड़ के संबंध में पत्रकारवार्ता ली। आईजी ने बताया कि रविवार सुबह जवानों ने सटीक प्लानिंग अपनाते हुए केबी डिविजन के 12 लाख के सक्रिय ईनामी नक्सली रूपेश उर्फ हुंगा को मुठभेड़ में ढेर किया है। घटना के संबंध में जानकारी देते हुए आईजी संजय
कुमार ने बताया कि मलाजखंड के पाथरी चौकी अंतर्गत हर्राटोला जंगल में पुलिस को लगातार नक्सलियों के मूवमेंट की खबर मिल रही थी। पुख्ता इनपुट मिलने के बाद जवानों ने वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन और एसएचओ हॉकफोर्स आशीष शर्मा और विनय गोस्वामी के नेतृत्व में टीम ने नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब दिया। पुलिस द्वारा कंट्रोल फायर में 60 से 70 राउंड गोलियां चलाई गई, लेकिन नक्सलियों ने इससे भी अधिक राउंड फायर किए थे। पत्रकारवार्ता में आईजी के साथ डीआईजी अनुराम शर्मा, एसपी समीर सौरभ, हॉक कमांडेंट पुनीत गहलोद, सीआरपीएफ कमांडेंट सुशील कुमार, एएसपी नक्सल सेल आदित्य मिश्रा मौजूद रहे।
दो दर्जन से अधिक थे नक्सली
बताया गया कि घने जंगल में दो दर्जन से अधिक नक्सली थे। एनकाउंटर के दौरान नक्सलियों ने जवानों पर सबसे अधिक फायर किए, लेकिन केबी डिविजन के 12 लाख के सक्रिय ईनामी नक्सली रूपेश उर्फ हुंगा को मार गिराया। सुकमा का रहने वाला रूपेश छह साल से केबी डिवीजन के सक्रिय नक्सली सुरेंद्र उर्फ कबीर के गनमैन के रूप में काम कर रहा था। इसलिए संभावना है कि मौके से भागने वाले नक्सलियों में नक्सली सुरेंद्र उर्फ कबीर भी हो सकता है। मारे गए नक्सली रूपेश के पास से पुलिस को एक राइफल, दैनिक सामग्री, वायरलेस सेट और भारी मात्रा में नक्सल साहित्य मिले हैं। घटना के बाद जंगल क्षेत्र में सीआरपीएफ और हॉकफोर्स के जवान जॉइंट सर्चिंग ऑपरेशन चला रहे हैं।
पुलिस-हॉकफोर्स ने बनाया रिकॉर्ड
आपको बता दें कि इस साल अब तक कुल 6 ईनामी नक्सली मारे गए हैं, जो पिछले 9 सालों की कंबाइंड कार्रवाई से भी ज्यादा है। मारे गए इन छह नक्सलियों में दो नक्सली हॉर्डकोर नक्सली थे और डीवीसीएम रैंक के थे, जिनके पास से पहली बार पुलिस को एके-47 राइफल बरामद करने कामयाबी मिली है। आईजी ने बताया कि इससे पहले कभी मारे गए नक्सलियों के पास से एके-47 राइफल नहीं मिली थी। इसके अलावा इससे पहले बालाघाट में कभी डीवीसीएम रैंक के नक्सली नहीं मारे गए थे। आईजी संजय कुमार ने बताया कि पुलिस नक्सल उन्मूलन में पूरे जोश, समर्पण और मेहनत से काम कर रही है।
जल्द लागू होगी नक्सल समर्पण नीति
छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तेलंगाना और ओडिशा राज्य में लागू नक्सल समर्पण नीति की तर्ज पर मध्यप्रदेश में इसे लागू करने के सवाल में आईजी संजय कुमार ने बताया कि नई नक्सल समर्पण नीति को लेकर प्रदेश सरकार को मसौदा बनाकर भेजा गया है, जिसके जल्द लागू होने की संभावना है। आपको बता दें कि नई नीति के तहत बालाघाट, मंडला और डिंडोरी में सक्रिय नक्सलियों को आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा में जुडऩे का मौका दिया जाएगा। जिसमें समर्पण के अलावा नक्सलियों के पुनर्वास और आर्थिक सहायता देने का प्रावधान है।
पुलिस रणनीति बनाकर काम कर रही है
कान्हा क्षेत्र में नक्सलियों की बढ़ती संख्या और गतिविधियां को लेकर पुलिस गंभीर है। एक सवाल के जवाब में आईजी संजय कुमार ने बताया कि नक्सली अपना मूवमेंट बढ़ाना का प्रयास करते हैं। एमएमसी एरिया नक्सलियों के विस्तार का एरिया है और नक्सलियों को किसी एरिया में अपना विस्तार करना होता है तब वो अपनी संख्या में भी बढ़ोत्तरी करते हैं। नए एरिया में भी इनका मूवमेंट बढ़ता है, लेकिन इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए पुलिस भी एक रणनीति के साथ काम करती है। अभी पुलिस ने अपने नए कैंप खोले हैं। आने वाले समय में भी पुलिस अपने कैंपों की संख्या में इजाफा करेगी। इसके अलावा पुलिस अपने मुखबिर तंत्र को लगातार ताकतवर बना रही है। साथ ही बालाघाट से लगी छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की सरहद में नक्सलियों के प्रवेश पर रोक लगाने के लिए संबंधित राज्य के पुलिस के साथ जॉइंट ऑपरेशन के साथ सर्चिंग कर रहे हैं। बॉर्डर पर जॉइंट कैंप भी खोले गए हैं।

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