न मिला वैवाहिक प्रमाण पत्र और ४९ हजार का चेक

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 एक विवाह ऐसा भी जहां शादी तो शासकीय योनना अंर्तगत कर दी गई मगर हितग्राहीयों को १ माह बीत जाने के बाद भी शासकीय योजनाओं का लाभ नही मिला है। हम बात कर रहे है मुख्यमंत्री कन्यादान योजना की जहां पर पात्र हितग्राही  अपने वैवाहिक प्रमाण पत्र व शासन से मिलन े वाले चेक के लिये इंतजार कर रहे हेै लगभग इस विवाह समारोह में वारासिवनी जनपद सहित करीब २९६ जोड़े शामिल हुये थे जिनके द्वारा बकायदा पंजीकरण ग्राम पंचायत के माध्यम से किया गया है। मगर इन शादी शुदा जोड़ो को अभी तक न तो वैवाहिक प्रमाण पत्र मिला है और ना ही चेक का वितरण किया गया है। हितग्राहियों को बोला जा रहा है कि भले यह आयोजन जनपद पंचायत ने कराया हे मगर प्रमाण पत्र नगर पालिका के द्वारा दिया जायेगा। जिससे वैवाहिक जोड़े पशोपेश की स्थिति में है वे लगातार यह प्रश्र उठा रहे कि आयेाजककर्ता जब जनपद पंचायत है तो नगर पालिका से प्रमाण पत्र क्यों प्राप्त किया जाये। हमें जनपद की और से ही वैवाहिक प्रमाण पत्र प्रदान किये जाने के साथ ही चेक का वितरण भी किया जाये। ताकि हम अपनी घर गृहस्थी का सामान खरीद सके।

१ माह से भटक रहे वैवाहिक प्रमाण पत्र के लिये- शिवानी

इस संबंध में २२ अप्रैल को विवाह बंधन में बंधी शिवानी पति ईश्वरी नागेश्वर निवासी धानीटोला ने पद्मेश को बताया कि हम लोग के दोनों परिवार ने २२ अप्रैल को मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में वारासिवनी जनपद के द्वारा आयोजित विवाह समारोह में विवाह किया था। मगर अभी तक हमूें न तो विवाह का प्रमाण पत्र मिला है और ना ही ५५ हजार रूपये की राशि मिली है। हम विवाह प्रमाण पत्र के लिये कई बार जनपद के चक्कर काट चुके है। मगर जनपद के कर्मचारी अधिकारी का कहना है कि आप लोगों को नगर पालिका से ही वैवाहिक प्रमाण पत्र मिलेगा। न तो हमे चेक मिला है ना ही हमने जो शादी सामूहिक विवाह में की है उसका कोई प्रमाण। ऐसे में हम लोगों के सामने कई प्रकार की चिंता जन्म ले रही है। हम लोग गरीब परिवार से ताल्लुक रखते है। ऐसे में हमे शासन की योजना का लाभ नही मिल रहा है।

न मिला वैवाहिक प्रमाण पत्र और चेक – काजल

पदमेश को जानकारी देते हुये नवविवाहिता कॉजल पति अतुल गोटेकर  ने बताया कि हम लोग अभी तक कई चक्कर जनपद पंचायत वारासिवनी के काट चुके है। हमे इस बात की उम्मीद थी कि हम लोगों को वैवाहिक कार्यक्रम समाप्त होते ही हमारी शादी का प्रमाण पत्र व जो मुमख्यमंत्री जी की घोषणा है कि  ५५ हजार रूपये का चेक मिल जायेगा। ताकि  हम अपनी घर गृहस्थी का सामान खरीद सके। मगर ऐसा नही हुआ न तो हमें चेक मिला है और ना ही हमें वैवाहिक प्रमाण पत्र। जब भी जनपद पंचाचत जाओं तो हमें नगर पालिका जाने की बात कहीं जाती है। जब हम लोगों ने अपने पूरे दस्तावेज जनपद में जमा कर दिये है तो हम नगर पालिका क्यों जाये। हमें चेक व वैवाहिक प्रमात्र पत्र वारासिवनी जनपद से ही मिलना चाहिये वरना हम लोग उग्र आंदोलन करने में मजबूर होना पड़ेगा।

जब शादी जनपद के माध्यम से हुई तो नगर पालिका का क्या रोल कॉल – मुस्कान

पद्मेश से चर्चा करते हुये श्रीमती मुस्कान पति आशीष ढगे ने बताया कि वे पूरे एक माह से जनपद व नगर पालिका के चक्कर अपने वैवाहिक प्रमाण पत्र को लेकर काट रही है। मगर जब भी हम जनपद पंचायत वारासिवनी जाते है तो हमें कहां जाता है कि आपको वैवाहिक प्रमाण पत्र नगर पालिका से मिलेगा। जबकि आयोजनकर्ता जनपद है मगर उसके बाद भी हम जब नगर पालिका जाते है तो हमसे समस्त दस्तावेज की फोटो कॉपी के साथ ही अन्य जानकारी मांगी जाती है। जिससे हम लोग जनपद पंचायत व नगर पालिका के बीच इधर से उधर भटक रहे है। साथ ही हमे अब तक हमारे माननीय मुख्यमंत्री द्वारा जो ५५ हजार रूपये का चेक दिया जाना था उससे भी हम वंचित है। वही नगर पालिका में हम से कई प्रकार के शुल्क लेकर हमें ४ से ५ दिन बाद आने की बात कहीं जाती है। जबकि अपने समस्त दस्तावेज सामूहिक विवाह में पहले ही जमा कर दिये है। अगर नगरपालिका को ही हमारे वैवाहिक प्रमाण प्रत्र देना है तो वे जनपद से हमारे सम्पूर्ण दस्तावेज बुला सकती है। हम लोगों को क्यों परेशान किया जा रहा है। ऊपर से हम से शुल्क भी लिया जा रहा है

इस मामलें में पूर्व जनपद सदस्य पीतांबर नागेश्वर ने बताया कि यह मामला काफी गंभीर है। एक तरफ जनपद इस आयोजन को कराती है जिसमें २९६ नवयुगल  जोड़े शादी में शामिल होते है। मगर आज पूरे एक माह बीत चुके है न तो उन्हे वैवाहिक प्रमाण पत्र मिला है ना ४९ हजार का चेक। हालांकि मिलना चाहिये था ५५ हजार का चेक मगर ६ हजार रूपये शादी के आय व्यय में काटने का आदेश मध्यप्रदेश शासन ने दिया था। वर्तमान समय में वैवाहिक प्रमाण पत्र के लिये जिन्होने सामूहिक विवाह में शादी की है उन्हे जनपद पंचायत से प्रमाण पत्र न देते हुये नगर पालिका से प्रमाण पत्र देने  की बात कहीं जा रही है। बकायदा नगर पालिका में एक ३० रूपये की शुल्क व १० रूपये डिस्पेज शाखा में हितग्राहियों से लिया जा रहा है। वही उन्हे इधन उधर भटकना भी पड़ रहा है। श्री नागेश्वर नेने बताया कि वही  ६ हजार राशि विवाह आयोजन में काटने के बाद भी ४९ हजार रूपये के चेक से पात्र हतग्राही वंचित है। इस पर शासन प्रशासन को ध्यान देना चाहिये  वरना हमें अपनी ही सरकार के खिलाफ जनहित में आंदोलन करना पड़ेगा।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री कन्यादान योजना मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की महत्वाकांक्षी योजना है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने यह योजना इसलिये लागू की थी कि गरीब परिवार की लड़की का विवाह समारोह पूर्वक सार्वजनिक मंच में किया जाये। साथ ही उसे घर गृहस्थी का सामान भी शासन की और से प्रदान किया जाये। मगर प्रशासन इस योजना को पलीता लगाते हुये नजर आ रहा है। जहां एक माह पूर्ण होने के बाद भी न तो मामा की भांजियों को वैवाहिक प्रमाण पत्र मिले है और ना ही उन्हे कन्यादान स्वरूप सामान खरीदने के लिये राशि। ऐसे में यह योजना के सार्थक परिणाम दिखाई नही दे रहे है।

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