मध्य प्रदेश सरकार ने नगर तथा ग्रामीण क्षेत्रों के नक्शे पोर्टल पर अपलोड कर दिए हैं। जो राजस्व रिकॉर्ड के पोर्टल में है। उसमें लगभग दो करोड़ नक्शों में भारी गड़बड़ी हैं। हर जिले के 50 फ़ीसदी नक्शों में गड़बड़ी है। जिसके कारण लाखों खातेदार हैरान-परेशान होकर पटवारियों और तहसीलदारों के चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन नक्शों में सुधार नहीं हो पा रहा है।
कंप्यूटर पर रिकॉर्ड अपलोड करते समय पटवारी और आरआई द्वारा लापरवाही और भारी गड़बड़ियां की गई हैं। पोर्टल पर गलत जानकारी और गलत नक्शे के आधार पर हजारों लोगों ने बैंकों से लोन ले लिया है। वही सही खातेदार के खातों में फर्जी बेनामी नाम दर्ज हो गए हैं। इन गड़बड़ियों को सही कराने के लिए खातेदार पटवारी तहसीलदार के चक्कर लगा रहे हैं।
एक पुरानी कहावत है लड़का सीखे…. का सिर कटे गंवार का। लगभग यही स्थिति इस समय जमीन मालिकों की हो रही है। सरकार ने सभी राजस्व रिकॉर्ड पोर्टल पर ले जाने के लिए हड़बड़ी में वह सारा काम किया। जो नहीं करना चाहिए था। रिकॉर्ड का सत्यापन किए बिना पोर्टल में रिकॉर्ड दर्ज हो गया है। अब लोग परेशान होकर यहां से वहां घूम रहे हैं। राजस्व विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों के लिए रिश्वतखोरी का एक नया जरिया कंप्यूटरीकृत राजस्व रिकॉर्ड बन गए हैं।
न्यायालयों में राजस्व रिकॉर्ड को सही कराने के प्रकरण हजारों की संख्या में पहुंच रहे हैं। वहीं बैंकों से भी बड़े पैमाने पर कंप्यूटर रिकॉर्ड के आधार पर लोन लेने और धोखाधड़ी के सैकड़ों मामले सामने आ चुके हैं। मध्य प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री जन सेवा अभियान में नक्शों में सुधार करने का अभियान शुरू किया है। हर जिले में हजारों आवेदन आ रहे हैं। लेकिन सुधार करने की जिम्मेदारी कोई लेने को तैयार नहीं होता है। जिसके कारण महीनों -महीनों तक खातेदारों को खाते सही कराने के लिए भटकना पड़ता है। वकीलों की सहायता लेनी पड़ती है। वहीं धोखाधड़ी के मामले काफ़ी बढ़ गए हैं।