प्रदेश सरकार की सिखों कमाओ योजना फेल ?

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विधानसभा चुनाव के एन वक्त पूर्व मध्य प्रदेश सरकार द्वारा बेरोजगार युवाओं को आकर्षित कर
उनके वोटो को साधने के लिए, मुख्यमंत्री सीखो कमाओ योजना लॉन्च की गई थी। जहां योजना में प्रदेश के पढ़े लिखे युवा बेरोजगारों से ऑनलाइन आवेदन मगाकर युवाओं को विभिन्न क्षेत्रों और विभागों में काम सीखने के साथ-साथ उन्हें कमाने का अवसर भी प्रदान करने का दावा किया गया था। तो वही योजना के तहत युवाओं की प्रतिभा के आधार पर उन्हें 7000 रुपए से लेकर 20 से 25,000 रु तक मानदेय दिए जाने की बात सरकार द्वारा कही गई थी।चुनावी सीजन में सिखों कमाओ योजना को लांच कर इसके प्रचार प्रचार में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा विज्ञापन के नाम पर लाखों रुपए खर्च किए गए थे। लेकिन अब इसी योजना से जुड़े युवाओं का सीखो कमाओ योजना से मोह भंग होने लगा है। जहां विधानसभा के बाद लोकसभा चुनाव संपन्न होते ही इस योजना से जुड़े युवाओं को सरकार द्वारा मानदेय नहीं दिया जा रहा है।जिसके चलते योजना से जुड़े युवा अब मानदेय के लिए दर-दर की ठोकरे खाने के लिए मजबूर है। लेकिन उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है।जिस पर अपनी नाराजगी जताते हुए रमरमा माइस में सीखो कमाओ योजना के तहत काम करने वाले युवाओं ने कलेक्टर कार्यालय में ज्ञापन सौपकर पिछले 5 महीने का बकाया मानदेय दिए जाने की गुहार लगाई है। तो वहीं उन्होंने योजना पर सवाल उठाते हुए चुनाव के पूर्व योजना को लेकर किए गए वादों के मुताबिक काम सीखने के साथ-साथ उन्हें प्रति माह 7 तारीख के अंदर मानदेय का भुगतान किए जाने की मांग की है।

युवाओं का योजना से हो रहा मोह भंग, कई युवा छोड़ चुके हैं काम
बताया जा रहा है कि चुनाव के एन वक्त पूर्व बेरोजगार युवाओं को साधने के लिए मध्य प्रदेश सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा योजना को लॉन्च किया गया था. जिसमें विभिन्न क्षेत्रों में काम सीखाने के साथ-साथ कमाने का अवसर प्रदान करते हुए 15 जुलाई से 31 जुलाई तक ऑनलाइन आवेदन मंगाई गए थे वही 1 अगस्त से योजना के तहत काम सीखाने के साथ-साथ उनका मानदेय देने का वादा किया गया था।वही स्वयं इस योजना को लेकर प्रदेश सरकार ने स्वयं अपनी पीठ थपथपाते हुए जमकर वाही लूटी थी। तो वहीं अन्य मुद्दों के साथ-साथ सीखो कमाओ योजना को भी एक बड़ी योजना बताकर पार्टी व सरकार का जमकर महिमा मंडल कर लोगों को चुनाव में अपनी ओर आकर्षित किया था। लेकिन विधानसभा चुनाव संपन्न होते ही सरकार द्वारा योजना से जुड़े युवाओं को मानदेय देना बंद कर दिया गया है। जहां सितंबर माह से मार्च माह तक तो युवाओं को प्रतिमाह मानदेय का भुगतान किया गया।लेकिन अप्रैल से लेकर चालू माह जून तक योजना से जुड़े युवाओं का मानदेय नहीं दिया जा रहा है।जहां पिछले 5 दिनों से प्रदेश सरकार द्वारा युवाओं के खाते में मानदेय नहीं दिए जाने के चलते योजना से जुड़े युवाओ को आर्थिक व मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है तो वही उनका इस योजना से मोह भंग हो रहा है। शायद यही वजह है कि पंजीयन करने वाले ज्यादातर युवाओं ने सीखो कमाओ योजना का लाभ ही नहीं लिया,तो वही इस योजना का लाभ लेने वाले आधे से अधिक युवाओं ने मानदेय ना मिलने के चलते काम छोड़ दिया है।

कंपनी सरकार को दे रही 25% ,लेकिन सरकार 75% राशि मिलकर नहीं कर रही भुगतान
बताया जा रहा है की योजना के तहत युवा जिस क्षेत्र में काम करते हैं उन क्षेत्र की कंपनी या विभाग द्वारा काम कर रहे युवाओं को मानदेय देने के लिए सरकार सरकार को प्रतिमाह 25% राशि दी जा रही है लेकिन उस 25% राशि में सरकार 75% की राशि मिलकर युवाओं को मानदेय का भुगतान नहीं कर रही है। जिसके चलते योजना से जुड़े युवा पिछले 5 महीनो से मानदेय की राह देख रहे हैं। और इस बकाया मानदेय के लिए उन्हें दर-दर की ठोकरे खाने मजबूर होना पड़ रहा है। तो वहीं सीएम हेल्पलाइन सहित अधिकारियों कर्मचारियों के दफ्तर के चक्कर लगाने के बावजूद भी उनकी इस समस्या का निराकरण नहीं किया जा रहा है। जिस पर अपनी नाराजगी जताते हुए योजना से जुड़े युवाओं ने पिछले 5 महीने का बकाया मानदेय का तुरंत भुगतान किए जाने की मांग की है तो वहीं उन्होंने कलेक्टर कार्यालय में ज्ञापन सौपकर प्रति माह 7 तारीख के अंदर मानदेय का भुगतान किए जाने की मांग की है ।

साथ काम करने वाले आधे से अधिक युवाओं ने छोड़ दिया काम- गौरव शर्मा
उक्त मांग को लेकर अपने साथियों के साथ ज्ञापन सौंपने कलेक्टर कार्यालय पहुंचे युवा गौरव शर्मा ने बताया कि वे और उनके अन्य साथी सीखो कमाओ योजना के तहत रमरमा माइंस में काम कर रहे हैं योजना के समय हमसे कहा गया था कि काम सीखाने के साथ-साथ हमे मानदेय भी दिया जाएगा इस योजना में कंपनी द्वारा 25% की राशि प्रति माह शासन को भेजी जा रही है,लेकिन शासन द्वारा उसमें 75% की राशि मिलकर मानदेय का भुगतान नहीं किया जा रहा है।जिससे हमें आर्थिक व मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि कई सारे युवा दूरदराज गांव से काम सीखने और काम करने आते हैं। तो वहीं कई युवा किराए के कमरे में रहकर काम कर रहे हैं पिछले 5 महीनो से मानदेय न मिलने के चलते उन्हें भारी परेशानी हो रही है। उन्होंने आगे बताया कि हमारे साथ रमरमा माइंस में इस योजना के तहत काम करने वाले 30 से अधिक युवा थे जिसमें से आधे से अधिक युवाओं ने मानदेय न मिलने के कारण काम छोड़ दिया है। तो वही अन्य युवा मानदेय के लिए काफी परेशान है।जो आए दिनों सरकारी कार्यालयों के चक्कर काट रहे है लेकिन हमारी कही कोई सुनवाई नही हो रही है।

सरकार ने किए थे तरह तरह के वादे-देवेंद्र
वही मामले को लेकर की गई चर्चा के दौरान युवा देवेंद्र रहांगडाले ने बताया कि वे रमरमा माइंस में सीखो कमाओ योजना के तहत काम कर रहे हैं उन्हें और उनके साथियों को लगभग 5 महीनो से सरकार द्वारा मानदेय का भुगतान नहीं किया गया है जिसके चलते हम काफी परेशान हैं। उन्होंने बताया कि सीएम हेल्पलाइन सहित अन्य अधिकारियों से शिकायत की गई है बावजूद इसके भी समस्या का समाधान नहीं हो रहा है।उन्होंने बताया कि बालाघाट सम्पूर्ण मप्र में 20 से 25000 युवा इस योजना के जुड़कर काम कर रहे हैं सभी के साथ यही समस्या आ रही है। जब हमने कंपनी से मानदेय को लेकर बात की तो कंपनी ने बताया कि कंपनी द्वारा प्रतिमाह 25% की राशि सरकार को भेजी जा रही है। लेकिन सरकार उसमें 75% राशि मिलकर मानदेय का भुगतान नहीं कर रही है जिससे हम काफी परेशान हैं हमारी मांग है की जल्द से जल्द 5 महीनो का बकाया मानदेय दिया जाए ।साथ ही प्रतिमाह 7 तारीख के अंदर सरकार द्वारा मानदेय युवाओं के खाते में डाला जाए। ताकि हमें आर्थिक व मानसिक परेशानी परेशानियों से छुटकारा मिल सके।

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