‘बंटोगे तो कटोगे…’ सीएम योगी के बयान पर बीजेपी शीर्ष नेतृत्व की चुप्पी क्या कहती है?

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बंटोगे तो कटोगे, एक रहेगो तो नेक रहोगे, सुरक्षित रहोगे। आगरा में योगी आदित्यनाथ का यह अक्रामक राजनीतिक बयान बांग्लादेश के संदर्भ में था। योगी के इस बयान पर एआईएमआईएम चीफ असदउद्दीन ओवैसी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के इस बयान के कई निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। जाति की जोर पकड़ती राजनीति के बीच धर्म को लेकर यह बयान राजनीतिक गलियारों में खासा चर्चित हो रहा है। कहा जा रहा है कि यहां योगी के बयान में जिक्र भले ही बांग्लादेश का था लेकिन फ्रिक यूपी की दिख रही थी। वैसे यह बयान सीएम की छवि से अलग नहीं है। खास बात है कि सीएम योगी के इस बयान पर शीर्ष नेतृत्व की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने ना तो इस टिप्पणी का समर्थन किया है और ना ही इस पर कोई आपत्ति दर्ज की है।

सीएम योगी को फुल छूट?

लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद पार्टी का रुख और सीएम योगी का यह बयान दर्शाता है कि पार्टी ने उन्हें एक बार फिर से फ्री हैंड दे दिया है। उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं। हालांकि अभी चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है लेकिन बीजेपी इस बार किसी भी तरह से ढील बरतने के मूड में नहीं है। सीएम योगी एक बार फिर आक्रामक हिंदुत्व को लेकर फ्रंटफुट पर नजर आ रहे हैं। पार्टी की तरफ से हाल ही में मंडी से सांसद कंगना रनौत की तरफ से किसान आंदोलन के लेकर एक बयान आया था। इस मुद्दे पर पार्टी ने तुरंत कंगना को चेताया था। इससे पहले भी पार्टी अपने फायरब्रांड नेताओं पर समय-समय पर नकेल कसती रही है। लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद सीएम योगी का यह रुख दर्शाता है कि पार्टी ने उन्हें एक बार फिर से फ्री हैंड दे दिया है।

शीर्ष नेतृत्व की चुप्पी की वजह क्या है?

यहां एक सवाल है कि योगी के इस बयान को लेकर शीर्ष नेतृत्व के चुप्पी की वजह क्या है? राजनीतिक के जानकारों का मानना है कि पार्टी की नजर जम्मू-कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनावों पर है। पार्टी नहीं चाहती है कि उसके रुख का असर यहां पड़े। पार्टी जम्मू-कश्मीर में मुस्लिमों को नाराज नहीं करना चाहती है। शायद यही वजह है कि आलाकमान की वजह से इस मामले में कुछ नहीं कहा गया है। इसके अलावा गठबंधन में सहयोगी के साथ तालमेल बनाए रखना भी पार्टी की मजबूरी है। एनडीए में जेडीयू, लोजपा (राम विलास) जैसे दल हैं जिनके वोट बैंक में मुस्लिम समुदाय की अहम भूमिका है। असम में नमाज की छुट्टी रद्द करने को लेकर जेडीयू का विरोध सबके सामने है।

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