दो वर्ष जिले के मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ की बॉर्डर से लगे वन क्षेत्र में घटित फर्जी नक्सली एनकाउंटर में मारे गए झामसिंह धुर्वे के पीड़ित परिवार को न्याय की एक कड़ी में सफलता हासिल हुई है। पीड़ित परिवार के एक सदस्य नरेंद्र कुमार धुर्वे पिता स्वर्गीय झामसिंह धुर्वे निवासी देवगांव थाना बिरसा को वन विभाग द्वारा अप्रशिक्षित वनरक्षक के पद पर अनुकंपा नियुक्ति दी गई है।
इसके आदेश दक्षिण सामान्य वन मंडल बालाघाट के डीएफओ ग्रजेश कुमार वरकड़े द्वारा जारी करते हुए नरेंद्र कुमार धुर्वे को दक्षिण सामान्य वन मंडल बालाघाट के वन परीक्षेत्र लौंगूर के अंतर्गत पोलबत्तूर भाग 2 बीट सहायक के पद पर पदस्थापना भी कर दी गई है।
इस नियुक्ति से आदिवासी समाज के लोगों में भारी हर्ष व्याप्त है इसे अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के पदाधिकारियों द्वारा पूरे समाज की जीत बताया जा रहा है।
आपको बताये कि झामसिंह धुर्वे की मौत का मामला मध्यपदेश के साथ ही छत्तीसगढ़ राज्य में भी काफी सुर्खियों में रहा है। आदिवासी समाज द्वारा नक्सली एनकाउंटर मामले का शुरू से ही विरोध जताते हुए इसे फर्जी नक्सली एनकाउंटर करार दिया गया था और पीड़ित परिवार के सदस्यों को सरकारी नौकरी, एक करोड़ रूपया मुआवजा पीड़ित परिवार को देने और सर्चिंग पार्टी को सस्पेंड करने की कार्यवाही किए जाने की मांग लगातार की जा रही थी तथा इसको लेकर वृहद स्तर पर आंदोलन भी किए गए थे।
इस मामले में मोबाइल पर चर्चा करने पर अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के जिलाध्यक्ष भुवन सिंह कोर्राम ने बताया कि पीड़ित परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी मिलना यह पूरे समाज की जीत है जॉइनिंग के कल आदेश हो गए हैं मध्य प्रदेश सरकार द्वारा एक मांग पूरी की गई है वही दो मांग अभी भी अधूरी है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा भी झाम सिंह धुर्वे के 1 पुत्र को नौकरी दी गई थी लेकिन पता नहीं क्यों बाद में उसे हटा दिया गया। हमारा प्रतिनिधिमंडल आगामी दिनों में छत्तीसगढ़ सरकार से इस विषय पर मिलने जाएगा।










































