बालाघाट : कोरोना से डर गए ,मंहगाई से मर गए

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बालाघाट (पद्मेश न्यूज)। जिला मुख्यालय सहित अन्य ग्रामीण अंचलों में  मंगलवार को हर्षोल्लास के साथ नारबोद पर्व मनाया गया।जहा जगह जगह देर रात तक पूतना नामक राक्षसनी का पुतला बनाकर सुबह ढोल नगाड़ों के साथ आफत बलाए बीमारियां कोरोना मंहगाई, आदि बुराइयों को दुर करने के नारे लगाते हुए रहवासी क्षेत्र सीमा से बाहर ले जाकर पुतले का दहन किया गया। नारबोद पर्व को लेकर जिलेवासियों में खासा उत्साह देखा गया जहा खासतौर पर छोटे बच्चे और युवा इस पर्व को मनाने के लिए काफी उत्साहित नजर आए।इसी कड़ी में प्रति वर्ष के अनुसार इस वर्ष भी नगर में मारबद पर्व की धूम देखी गई, जहां नगर के वार्ड नंबर 11 बूढ़ी शिव मंदिर परिसर में स्थानीय लोगों द्वारा देर रात तक पूतना नामक राक्षसनी का पुतला बनाया गया जिसे कोरोना से डर गए और महंगाई से मर गए थीम पर सजाकर, सुबह मारबद का जुलूस निकाला गया।बैंड बाजे के साथ निकाला गया मारबत का यह जुलूस घेऊन जा री नारबोद के नारो के साथ बूढ़ी से होते हुए बस स्टैंड, भटेरा चौकी रेल्वे क्रासिंग से भटेरा चौकी नाका के आगे सीमा से बाहर ले जाया गया। जहा  घेऊन जा री नारबोद चिल्लाते पुतला का दहन किया गया।
वर्षो से निभाई जा रही परम्परा

आपको बताए कि नगर में पौराणिक काल से ही मारबत पर्व मनाने की परम्परा है।धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान कृष्ण ने इस दिन पूतना राक्षसनी का वध किया था। तब से यह पर्व पोला पाटन के दूसरे दिन मनाया जाता है।इस दिन पूतना नामक राक्षसनी का एक पुतला बनाकर लोग आफत,बलाए,बीमारी, मंहगाई, आदि बुराइयों को भी नगर या गाँव की सीमा से निकालने की बात कहते हुए तमाम बुराइयों को घेऊन जा री नारबोद कहकर पुतले का भृमण कराकर गाँव या शहर की सीमा से बाहर ले जाकर पुतले का दहन करते है। नगर में पिछले कई वर्षों से चली आ रही यह परंपरा अब भी कायम है जिसे स्थानीय लोगों द्वारा प्रतिवर्ष इस परंपरा को निभाया जाता है।जहा मुसीबत रूपी मारबत को जलाकर सुख समृद्धि की प्राथनाएं की जाती है।
कृष्ण युग से चली आ रही परम्परा-रामलाल बिसेन
इस पूरे मामले के संदर्भ में की गई चर्चा के दौरान वार्ड नंबर 11 निवर्तमान पार्षद रामलाल बिसेन ने बताया कि यहां वर्षों से चली आ रही पुरानी परंपरा है जब भगवान कृष्ण इस युग में थे तब उन्होंने पूतना का वध किया था तब से लेकर परंपरा चली आ रही है।ऐसा माना जाता है कि परेशानी का नाम लेकर घेऊन जा री नारबोद कहने से परेशानी दूर हो जाती है इसीलिए खाँसी, खोकला, पुराने रोग आदि को ले जा री नारबोद का नारा लगा रहे हैं । वर्तमान समय में जनता कोरोना से डरी हुई है वहीं महंगाई से मर रही है इसीलिए इस वर्ष कोरोना और महंगाई को ले जा रही नारबोद के नारे लगाए जा रहे हैं।
कोरोना से बच गए पर महंगाई मारने पर तुली है-कपिल बोरीकर
वही मामले को लेकर की गई चर्चा के दौरान स्थानीय निवासी कपिल बोरीकर ने बताया कि पिछली कई पीढिय़ों से बूढ़ी में नारबोद का पर्व मनाया जा रहा है जहां बालाघाट भटेरा नाका सीमा के उस पार पुतले को जलाते हैं इस वर्ष हमने कोरोना से डर गए और महंगाई से मर गए का श्लोक लिखा है क्योंकि वर्तमान में दाल तेल डीजल पेट्रोल अन्य खाद्य पदार्थ बहुत महंगे हो गए हैं हम कोरोना से तो बच गए लेकिन महंगाई अब जान लेने पर तुली है सरकार ने महंगाई को कम करना चाहिए।

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