भारत के खिलाफ जब पाकिस्तानी हमले में अमेरिका ने मांगा था ईरान का साथ, तेहरान ने भेजे थे फाइटर जेट, खंजर भोंकने की पूरी कहानी

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तेहरान: इजरायल और ईरान के बीच 11 दिनों तक चले युद्ध का 12वें दिन अंत हो गया है। इस युद्ध की सबसे खास बात ये थी कि पहली बार ऐसा हुआ है, जब अमेरिका ने ईरान की जमीन पर हमला किया। दूसरी तरफ पाकिस्तान ने इस 12 दिनों की लड़ाई में डोनाल्ड ट्रंप के लिए नोबेल पुरस्कार की मांग की, जबकि पाकिस्तान के नॉमिनेशन के ठीक अगले ही दिन अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु स्थलों पर हमले कर दिए। दुनिया में पिछले कई महीनों से कहीं ना कहीं जंग हो ही रहे हैं। वहीं ईरान और इजरायल युद्ध के बीच जब पाकिस्तान ने ट्रंप के लिए नोबेल पुरस्कार की मांग की तो इतिहास की वो कहानी याद आ गई, जब अमेरिका ने ईरान को भारत के खिलाफ युद्ध में ईरान को पाकिस्तान की मदद करने का आह्वान किया था। आपको जानकर हैरानी हो सकती है, लेकिन ये एकदम सत्य घटना है, जिसका खुलासा अमेरिकन फाइल्स से हुआ है।

इतिहास का ये आश्चर्यजनक किस्सा 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान की हैं, जब अमेरिका डर गया था कि पाकिस्तान कभी भी टूट सकता है और इसने ईरान से पाकिस्तान की सहायता करने का आग्रह किया था। गुप्त दस्तावेजों से पता चलता है कि दिसंबर 1971 में युद्ध के दौरान अमेरिका को इस बात का डर था कि भारतीय सेना से मुकाबला करने में पाकिस्तान नाकाम साबित होगा और देश ध्वस्त हो सकता है।

अमेरिका ने ईरान से की थी पाकिस्तान की मदद करने की अपील
रिपोर्ट्स के मुताबिक तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हेनरी किसिंजर ने दिसंबर 1971 को एक उच्च स्तरीय बैठक की थी। इस बैठक में चर्चा इस बात को लेकर हुई थी कि कैसे पाकिस्तान के पास अब तेल खत्म होने वाला है और भारत के कराची बंदरगाह पर प्रचंड हमले के बाद कैसे पाकिस्तान का ईंधन भंडार ध्वस्त हो गया है। कराची पोर्ट के पास ही पाकिस्तान ने इंधन जमा कर रखा था, जिसे भारत ने उड़ा दिया था। जिसके बाद अमेरिका को डर था कि अगर पाकिस्तान को फौरन ईंधन की सप्लाई नहीं की गई तो देश के पश्चिमी हिस्से में पाकिस्तान के सैन्य अभियान पूरी तरह से रुक जाएंगे। अमेरिका में इसके बाद इस बात पर चर्चा की गई कि पाकिस्तान की कैसे मदद की जा सकती है? इस बैठक में किसिंजर ने पूछा कि क्या ईरान, तेहरान से पाकिस्तान को ईंधन की आपूर्ति जल्दी से भेज सकता है?

इसके अलावा अमेरिका ने भारत की अग्रिम सेनाओं के खिलाफ अपनी रक्षा को मजबूत करने के लिए ईरानी लड़ाकू विमानों की पाकिस्तान को भेजने पर भी बात की और यह चर्चा उसी बैठक में हुई। इसके अलावा बैठक में एक और प्रस्ताव पर चर्चा की गई कि चीन से भारत की सीमा के पास अपने सैनिकों को भेजने के लिए कहा जाए, ताकि भारत पर मैक्सिमम प्रेशर बनाया जा सके और उसका ध्यान भटकाया जा सके। किसिंजर ने तत्कालीन ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष एडमिरल थॉमस एच. मूरर से भारत-पाक युद्ध के दौरान सैन्य स्थिति पर अपडेट के लिए भी कहा था। जिसके बाद एडमिरल मूरर ने उन्हें बताया था कि पूर्वी पाकिस्तान में, बिना युद्ध विराम के, पाकिस्तानी सेना जल्द ही ध्वस्त हो जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान की सेना की सप्लाई चेन को भारतीय सेना ने काट दिया है और पाकिस्तान के पास अब कोई हवाई सहायता नहीं बची है। अमेरिकी अधिकारी ने बैठक में कहा था कि पाकिस्तान ज्यादा से ज्यादा 10-12 दिन ही लड़ाई लड़ सकता है। जिसके बाद बैठक में एक सवाल ये गूंजा कि क्या पाकिस्तान की सेना आखिरी दम तक लड़ेगी या फिर आत्मसमर्पण करना शुरू कर देगी।

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