अब खून की जांच से भी कोरोना संक्रमण का पता लगाया जा सकेगा। भारतीय विज्ञानियों ने खून से कोरोना की जांच के लिए एक किट तैयार की है, जिससे सिर्फ एक मिनट में कोरोना संक्रमण और इसके स्तर का पता लगाया जा सकेगा। इस किट के प्रयोग के नतीजे अब तक अच्छे आए हैं। विज्ञानियों के मुताबिक ट्रायल पूरा होने के बाद इस किट के उत्पादन की जिम्मेदारी किसी शासकीय संस्थान को ही सौंपी जा सकती है।
भोपाल स्थित भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (आइआइएसईआर), अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान के विज्ञानियों ने मिलकर यह किट तैयार की है। यह रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी तकनीक पर काम करेगी।
विज्ञानियों ने किट का नाम यूनिवर्सल मल्टीपल एंगल रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी (यूमार्स) रखा है। गौरतलब है कि अब तक गले और नाक से स्वाब का सैंपल लेकर कोरोना वायरस की जांच की जाती थी। गले से लिए जाने वाले सैंपल की आरटीपीसीआर रिपोर्ट आने में दो से तीन दिन का समय लगता है। वहीं नाक सै सैंपल लेकर होने वाले एंटीजन टेस्ट की रिपोर्ट तुरंत आ जाती है, लेकिन इसमें रिपोर्ट तभी पॉजीटिव आती है, जब संक्रमण ज्यादा हो।
ऐसे काम करेगी नई किट
यूनिवर्सल मल्टीपल एंगल रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी (यूमार्स) परीक्षण किट में लगी लेजर बीम ब्लड के प्लाज्मा सेल्स के अंदर रासायनिक बदलावों का पता कर संक्रमण और इसका स्तर बता देगी। अभी किए गए प्रयोग में इसके परिणाम बेहतर आए हैं। इसके लिए एम्स, भोपाल ने कोरोना मरीजों के ब्लड के कुछ सैंपल उपलब्ध कराए थे।
आठ माह से चल रहा परीक्षण
आइआइएसईआर के डायरेक्टर प्रो. शिवा उमापति ने बताया कि रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी की मदद से ब्लड के प्लाज्मा सेल्स की रासायनिक संरचनाओं का पता कर संक्रमण का पता लगाया जाएगा। इस शोध में लगभग 70 फीसद सफलता मिल चुकी है। यह परीक्षण करीब आठ महीने से चल रहा था। उमापति के मुताबिक अभी इस किट पर लगभग 500 सैेंपल की जांच और की जाएगी। इसके साथ ही कुछ अन्य तकनीकी परीक्षण भी बाकी हैं, जिसमें कुछ महीने लग सकते हैं।
बाजार में आने में लगभग छह से आठ महीने लगेंगे
एम्स भोपाल के डायरेक्टर प्रो. (डा.) सरमन सिंह के अनुसार अभी इस किट पर कुछ और काम बाकी है। किट के बाजार में आने में अभी छह से आठ महीने का समय लगेगा। टीबी की जांच के लिए अभी तक रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी तकनीक का प्रयोग किया जाता है। अब इसी तकनीक से कोरोना वायरस के संक्रमण का पता चल सकेगा।
क्या है रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी
रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी एक तकनीक है, जिसका उपयोग अणुओं की संरचना की जांच करने के लिए किया जाता है। यह एक लेजर बीम आधारित तकनीक है। इस पर सैंपल को रखकर उसके रासायनिक संरचनाओं में बदलाव का अध्ययन किया जाता है। जानकारों के अनुसार, इस पर कोरोना जांच के लिए सैंपल को रखा जाएगा। फिर लेजर बीम की मदद से इसके बिखरे प्रकाश को एक स्पेक्ट्रम के रूप में जमा किया जाएगा। इसी से संक्रमण के स्तर का पता चलेगा।