लूनकरण भागचंद संचेती जैविक एवं प्राकृतिक चिन्नौर कृषि उपज मंडी वारासिवनी में कार्यरत कर्मचारी अधिकारी ६ माह से वेतन से वंचित है। हालांकि उन्हे एक माह पूर्व ही ३ माह का वेतन प्राप्त हुआ है मगर वे पूरा वेतन प्राप्त करने के लिये अड़े हुये है। जिसके तहत कुछ कर्मचारियों ने १ जनवरी को अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग कल्याण मध्यप्रदेश शासन व विधायक गौरीशंकर बिसेन से मुलाकात की और उनसे अपनी व्यथा सुनाई। जिस पर उन्होने मंडी के वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा करने का आश्वासन दिया है।
६ माह का वेतन बकाया
गौरतलब है की स्थानीय मंडी कर्मचारियों को मार्च २०२२ का वेतन दिसंबर माह में प्राप्त हुआ है। ऐसे में जो मात्र ३ माह का है। ऐसे में कर्मचारी अधिकारियों का कहना है की उन्हे रूके हुये ६ माह का वेतन भी प्राप्त होना चाहिये।
आर्थिक तंगी के साये में जी रहे जीवन
एक कर्मचारी ने नाम न छापने की बात पर बताया की समस्त कर्मचारी पूरे ९ माह से आर्थिक तंगी झेल रहे है। जो वेतन भी प्राप्त हुआ है वो पूरा का पूरा बाजार से लिये गये उधार पर चला गया है। अब गौरी भाऊ से निवेदन है की वे जिला विपणन संघ से चर्चा कर हमारा वेतन दिलाये ताकि हम लोग जिस आर्थिक तंगी को झेल रहे है उससे हमे निजात मिल सके।
२८ कर्मचारियों का है स्टॉफ
यहां यह बताना लाजमी है की वर्तमान समय में कृषि उपज मंडी में १ सचिव, १ लेखापाल, मंडी निरिक्षक २, सहायक उपनिरिक्षक १३, लिपिक ५, भृत्य ६ ऐसे २८ कर्मचारी व अधिकारी कार्य कर रहे है।
जिला विपणन संघ से आता है वेतन
गौर करने वाली बात है की मंडी के कर्मचारियों को समर्थन मूल्य पर खरीदी की जाने वाली धान, गेहूॅ की उपज से कमीशन के तौर पर मिलने वाली राशि से वेतन जिला विपणन संघ वेतन देता है। मगर मार्च २०२२ से लेकर उन्हे वर्ष २०२३ तक मात्र ३ माह का वेतन ही प्राप्त हुआ है। ऐसे में वे आर्थिक तंगी से जूझ रहे है।
मंडी बोर्ड से करूंगा चर्चा – गौरीशंकर
पद्मेश से मौखिक चर्चा करते हुये अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन ने बताया की मंडी के कर्मचारियों ने उनसे अपनी वेतन संबंधी चर्चा की है। में जिला विपणन संघ से इस मामलें में चर्चा करूंगा और वेतन क्यों नही हो रहा है इस बात की जानकारी लूंगा। शीघ्र ही समस्त कर्मचारी अधिकारियों का वेतन करवाने का मेरा प्रयास रहेगा। साथ ही मंडी बोर्ड से भी इस मामलें में चर्चा करूंगा।