पिछले दिनों ग्राम उकवा समीप कटेझीरिया खदान में हुई मजदूर की मौत का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है।जहां मजदूर की मौत वाले इस मामले को लेकर मजदूर संगठन व सामाजिक संस्थाओं द्वारा खदान के संचालन को लेकर तरह-तरह की आपत्ति जताई गई है जहां मजदूर की मौत पर मृतक के परिजनों को दिए मुआवजे पर सवाल उठाते हुए संगठन ने मुआवजे की राशि बढ़ाई जाने की मांग की है। तो वही संगठन द्वारा फॉरेस्ट रिजर्व एरिया में खदान के संचालन होने पर सवाल उठाते हुए इस पूरे मामले की जांच किए जाने की मांग की है इसी कड़ी में नरेंद्र मोदी विचार मंच राष्ट्रीय महासचिव सूरज ब्रम्हे और भारतीय मजदूर संघ के विभाग प्रमुख राजकुमार मोहरे ने इस घटना पर आपत्ति जताते हुए इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच किए जाने की मांग की है। जहां उन्होंने खदान में मजदूरों को प्रदान की जाने वाली सुविधाओं, खदान के पंजीयन,उनके संचालान और अन्य कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाते हुए मृतक के परिजनों को एक करोड रुपए का मुआवजा दिए जाने की मांग की है ।नगर में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान उन्होंने खदान का पंजीयन, खदान का संचालन अवैध तौर पर होने की आशंका जताते ,श्रम विभाग खनिज विभाग, वन विभाग और संबंधित विभागों के अधिकारियों पर मिलीभगत होने का आरोप लगाते हुए इस पूरे मामले की वैधानिक व निष्पक्ष से जांच कर दोषियों पर कार्यवाही किए जाने की गुहार लगाई है। जहां उन्होंने मांग पूरी न होने पर समस्त मजदूरों को साथ लेकर उग्र आंदोलन किए जाने की चेतावनी दी है।वार्ता के दौरान अशोक राऊत, जयपाल ब्रम्हे सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
क्या है पूरा मामला
जिले के रूपझर थाना क्षेत्रांतर्गत वनग्राम लौगुर स्थित कटेझीरिया में संचालित पेसीफिक मिनरल्स की 110 फीट गहरी मैगनीज खदान में ग्राम चिखलाझोड़ी निवासी जगदीश पिता तीरथ सरोते 34 वर्ष की 12 मई को दोपहर साढ़े 12 बजे मौत हो गई। इस मामले में मृतक के स्वजनों को खादन संचालक वेदानंत राय द्वारा मुआवजा के नाम पर एक लाख रुपये प्रदान किया गया है और हर माह छह हजार देने की बात कही गई है, जिस पर आपत्ति जताते हुए संगठन ने मजदूर की मौत का मुआवजा काफी कम होने की बात कही है संगठन पदाधिकारी ने बताया कि 1 लाख का मुआवजा महंगाई के इस दौर में बहुत कम है। जिन्होंने एक करोड रुपए का मुआवजा देने सहित पूरे मामले की जांच कर दोषियो पर कार्यवाही किए जाने की मांग की है।
1 करोड़ का दिया जाए मुआवजा- सूरज
आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान नरेंद्र मोदी विचार मंच के मुख्य राष्ट्रीय महासचिव सूरज ब्रम्हे ने बताया कि मजदूर के घर में अन्य कोई रोजगार करने वाला नहीं है। ऐसे में उनके परिवार को जीविका चलाने में परेशान होना पड़ेगा। मृतक के स्वजनों को एक करोड़ रुपये की मुआवजा राशि प्रदान की जाए। साथ ही मृतक के स्वजन को पालन पोषण के लिए जब तक उनके बच्चे बालिक नहीं हो जाते, तब तक उन्हें 25 हजार रुपये प्रति माह दिया जाए, ताकि उन्हें खर्चे चलाने में सहूलियत मिल सकें। उन्होंने सवाल किया कि क्या मजदूर की मौत का मुआवजा एक लाख रुपये हो सकता है?. उन्होंने इसे काफी कम मुआवजा बताया है।वही उन्होंने खदान की सुरक्षा और अन्य व्यवस्थाओं पर भी सवाल खड़े करते हुए मामले की जांच किए जाने की मांग की है।
मैगनीज माइंस की हो जांच
महासचिव सूरज ब्रम्हे ने आगे बताया कि जंगल के बीचों-बीच माइंस का संचालन हो रहा है। इसकी जानकारी आसपास के बहुत कम लोगों को है। माइंस प्रारंभ होने पर कई सारे हरे-भरे पेड़ नष्ट हुए होंगे। उस समय वन विभाग ने रिजर्व फारेस्ट होने के बाद भी कैसे अनुमति दी है, जांच का विषय है। यहां पर माइंस में मजदूरों को नियमानुसार काम नहीं कराया जाता है यानि सुरक्षा प्रदाय नहीं की जाती है। जब हादसा हुआ तो माइंस के कर्मचारी मजदूर को घायल होना बता रहे थे। जबकि उसकी मौत हो चुकी थी। माइंस संचालन की जानकारी अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को भी है, लेकिन मिलीभगत के चलते कार्रवाई से बचते नजर आ रहे है। इसकी उच्चस्तरीय जांच कर संबंधित दोषी अधिकारी व ठेकेदार पर दंडात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि मृतक के स्वजनों को उचित मुआवजा और हर माह महंगाई के अनुसार पैसे नहीं दिए जाते है तो मजदूरों के साथ आंदोलन करेंगे।
तो मजदूरों के साथ मिलकर करेंगे उग्र आंदोलन- राजकुमार
वही इस पूरे मामले को लेकर की गई चर्चा के दौरान भारतीय मजदूर संघ के विभाग प्रमुख राजकुमार मोहारे ने बताया कि माइंस में मजदूरों को नियमों के अनुसार काम नहीं कराते है। खदान में मजदूरों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे है। यहां श्रमिकों की न मेडिकल जांच के बाद भर्ती की जाती है और ना ही इनके किसी तरह के पहचान पत्र बने है। जिस माइंस में काम करते समय मजदूर की मौत हो गई। उसके बारे में पहले जानकारी नहीं थी। हादसा होने के बाद पता चला है कि कटेझीरिया लाैगुर में माइंस है। उन्होंने इस माइंस की जांच करने की मांग शासन प्रशासन से की है। उन्होंने बताया कि हम घटना के बाद खदान गए थे वहां 110 फीट गहरा गड्ढा मिला जो सिर्फ चार फीट चौड़ा है और रस्सी के सहारे एक बाल्टी में बैठ कर मजदूर को नीचे काम करने के लिए उतारा जा रहा है जो कि गलत है। वह सुरक्षा के कोई साधन नहीं है। फॉरेस्ट ने रिजर्व फॉरेस्ट एरिया में खदान संचालन की एनओसी कैसे जारी कर दी यह जांच का विषय है। हमें ऐसा लगता है कि इसमें अधिकारियों की मिली भगत है जिसकी जांच की जानी चाहिए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा ना हो सके। यदि ऐसा नहीं किया जाता तो सभी मजदूरों को साथ लेकर उग्र आंदोलन किया जाएगा जिसकी पूरी जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी।