मर चुके शख्स ने कैसे की गर्लफ्रेंड से बात… प्लांटेड गवाह और झूठी कहानी में सजा पाने वाले बाप-बेटे को हाईकोर्ट ने किया बरी

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भोपाल: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक मामले में राज्य की पुलिस जांच पर सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने एक व्यक्ति और उसके बेटे को उनकी बेटी/बहन के साथ संबंध रखने वाले एक व्यक्ति की हत्या के आरोप से बरी कर दिया। निचली अदालत ने दोनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। हाई कोर्ट ने इस मामले में जांच अधिकारी (IO) के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही, DGP मध्य प्रदेश को अपराधों की उचित जांच के लिए दिशा-निर्देश जारी करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि ऐसा करने से निर्दोष लोग ‘प्लांटेड’ गवाहों के कारण अपनी जान और आजादी नहीं खोएंगे।

मृतक के कॉल रिकॉर्ड से खुली पोल

जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस ए.के. सिंह की बेंच ने यह टिप्पणी मृतक के कॉल रिकॉर्ड सामने आने के बाद की। कॉल रिकॉर्ड से पता चला कि मरने के बाद भी वह आरोपी की बेटी/बहन से बात कर रहा था। डॉक्टर ने बताया कि मृतक की मौत 19 सितंबर, 2021 के 3-4 दिन बाद हुई थी लेकिन कॉल रिकॉर्ड बताते हैं कि वह 25 सितंबर, 2021 तक लड़की से बात कर रहा था।

आदेश में जजों ने लिखी ऐसी बात

जजों ने अपने आदेश में लिखा, ‘विज्ञान ने अभी तक इतनी तरक्की नहीं की है कि एक मरा हुआ इंसान मोबाइल फोन से कनेक्ट होकर आरोपी की बेटी से बात कर सके। यह एक और कमी है जो बताती है कि मध्य प्रदेश में जांच कितनी खराब है। पुलिस अधिकारियों सहित सभी गवाह, जांच को पूरा करने और चार्जशीट दाखिल करने के लिए झूठ बोलते हैं। वे ईमानदार, पारदर्शी और स्वतंत्र जांच नहीं करते हैं।’

लापरवाही के लिए विभागीय जांच के आदेश

कोर्ट ने DGP को जांच के लिए उचित दिशा-निर्देश जारी करने और IO और अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि अजय ताम्रकार, सरकारी वकील, इस मामले में शामिल पुलिसकर्मियों की सूची DGP को देंगे। कोर्ट ने यह भी कहा कि जांच की जाए कि पुलिस झूठे गवाह क्यों बनाती है ताकि निर्दोष नागरिकों की जान और आजादी छीनी न जा सके। कोर्ट ने 30 दिनों के भीतर रिपोर्ट पेश करने को कहा है।

ये है पूरा मामला

नैन सिंह धुर्वे और उसके बेटे को नवंबर 2023 में मंडला जिले की एक सत्र अदालत ने एक युवक, राजेंद्र की हत्या का दोषी पाया था। अभियोजन पक्ष के अनुसार, राजेंद्र का उनकी बेटी/बहन के साथ संबंध था। कोर्ट विशेष रूप से अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए ‘चश्मदीद’ गवाह, चेत सिंह पर नाराज था। चेत सिंह घटना के पांच महीने बाद केरल से आया था, जहां वह नौकरी की तलाश में गया था।

प्लांटे़ड गवाह से केस प्रभावित करने की कोशिश

अभियोजन पक्ष के अनुसार, चेत सिंह ने पुलिस को बताया कि 19 सितंबर, 2021 की रात जब राजेंद्र लापता हो गया तो वह आरोपियों के घर पर रुका था क्योंकि उसकी बाइक में कुछ खराबी आ गई थी। देर रात शोर सुनकर जब वह उठा तो उसने देखा कि आरोपी किसी को पीट रहे थे। पुलिस ने अनुमान लगाया कि वह राजेंद्र ही होगा क्योंकि उसका आरोपियों की बेटी/बहन के साथ संबंध था।

कोर्ट ने जताई नाराजगी

कोर्ट ने हैरानी जताई कि राजेंद्र के परिवार के किसी भी सदस्य ने पुलिस को इस रिश्ते के बारे में नहीं बताया और न ही यह संदेह जताया कि आरोपियों ने राजेंद्र की हत्या कर दी होगी। इसके अलावा, पुलिस ने उस लड़की से यह नहीं पूछा कि क्या उसका राजेंद्र के साथ संबंध था और क्या उसके पिता/भाई इसके खिलाफ थे। कोर्ट ने चेत सिंह को पुलिस द्वारा ‘प्लांटेड’ गवाह मानते हुए कहा कि उसे राजेंद्र की मौत के बारे में तब पता चला जब उसे उस गांव में वापस लाया गया जहां घटना हुई थी।

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