नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में 6 सितंबर को हरितालिका तीज पर्व धार्मिक आस्थाओं के साथ मनाया गया। इस पर्व पर महिलाओं में खासा उत्साह देखा गया। महिलाओं ने सुबह नहर, नदी से बालू लाकर भगवान शिव व पार्वती की प्रतिमा का निर्माण किया और पुरी रात रतजगा कर अपने पति की दीर्घायु की कामना की। पति की दीर्घायु के लिये किया जाने वाला सबसे कठिन वृत हरितालिका है जिसमें 30 घंटे का वृत सुहागन महिलाओं के द्वारा बिना पानी पीये किया जाता हैं। इनके सांस्कृतिक तथा पारंपरिक महत्व अपनी जगह हैं इसलिए तीज के लिए महिलाएं काफी पहले से तैयारियां शुरू कर देती हैं। ताकि तिथि पर पूरे उत्साह के साथ हरितालिका तीज मनाई जाती है। जिसके तहत महिलाओं ने हरितालिका व्रत धारण किया।
व्रतधारी महिला श्रीमती संगीता गोस्वामी ने पदमेंश से चर्चा में बताया कि हरितालिका तीज का व्रत सभी महिलाओं के द्वारा किया जा रहा है। जिसमें नहर पर उपस्थित होकर गौर निकल रहे हैं इसमें कुंवारी कन्या व सुहागिन महिला इस व्रत को करती है। यह व्रत पति की दीर्घायु जीवन की कामना के लिए किया जाता है। श्रीमती गोस्वामी ने बताया कि यह वृत पूर्वजों से चला आ रहा है जिसमें सुबह गौर निकालकर कल विसर्जन करेंगे इसमें महिलाएं निर्जला व्रत धारण करती है। जिसमें माता गौरा और भगवान शिव की पूजा की जाती है।
व्रतधारी महिला श्रीमती हेमलता पूरी ने बताया कि तीज व्रत में सभी महिलाएं गौर निकालने के लिए नहर पर पहुंची हुई है सभी ने निर्जला व्रत धारण किया हुआ है इसमें पूरी रात जागकर भगवान की पूजा अर्चना व भजन कीर्तन किया जाएगा। यह पर्व पति की दीर्घायु के लिए किया जा रहा है जो माता पार्वती ने भगवान शिव की प्राप्ति के लिए रखा हुआ था जिसके बाद से यह व्रत किया जाता है। श्रीमती पूरी ने बताया कि हरितालिका तीज पर दो तिथियों में था जिसमें 5 सितंबर को भी कुछ महिलाओं ने यह पर्व किया है पर सही तिथि 6 सितंबर की है क्योंकि हिंदू पंचांग के अनुसार सूर्योदय की तिथि मानी जाती है।
बड़ी नहर में किया जायेगा गौर विसर्जन
हरितालिका का वृत कठिन उपवास है महिलाएं निर्जल उपवास रहती हैं शाम को नये वस्त्र एवं आभूषण पहनकर बालू मिट्टी से बनी शिव – पार्वती की प्रतिमा की पूजन – अर्चना कर माता पार्वती को 16 श्रृंगार अर्पित करती हैं। रात्रि जागरण कर रात में जागरण के पश्चात 19 सितंबर को शिव-पार्वती की प्रतिमाओं को विधिवत नदी-तालाब में विसर्जन किया जायेगा ।