मायावती के भाई-भाभी पर लॉजिक्स की मेहरबानी तो बस झांकी, CAG ने रिपोर्ट में नोएडा अथॉरिटी की अंधेरगर्दी की खोली थी पोल

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NEW DELHI, INDIA - MAY 19: Former Uttar Pradesh Chief Minister and Rajya Sabha member Mayawati addresses a press conference on May 19, 2012 in New Delhi, India. She accused the Samajwadi party of indulging in political vendetta as it was ordering the probes into the work done in her tenure. (Photo by Ajay Aggarwal/ Hindustan Times via Getty Images)

यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के भाई और भाभी को रियल एस्टेट कंपनी लॉजिक्स ने नोएडा में तकरीबन आधी कीमत पर 261 फ्लैट दिए थे। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने आधिकारिक रिकॉर्ड्स के हवाले से अपनी न्यूज रिपोर्ट में खुलासा किया है कि इन सौदों में नियमों की धज्जियां उड़ाई गईं। ऑडिट में खुलासा हुआ कि मायावती के भाई आनंद कुमार और भाभी विचित्र लता को जिस तरीके से ये फ्लैट दिए गए, उसमें तमाम गड़बड़ियां थीं। वास्तविक कीमत से बहुत कम पर (46 प्रतिशत डिस्काउंट) फ्लैट दिए गए। इतना ही नहीं लेन-देन में भी ‘फर्जीवाड़ा’ हुआ। आनंद कुमार को 135 और विचित्र लता को 126 अपार्टमेंट अलॉट हुए। मायावती के भाई को 2,300 रुपये प्रति वर्ग फीट के हिसाब से फ्लैट दिए गए जबकि उसी दौरान अन्य खरीदारों को 4,350 रुपये प्रति वर्ग फीट के हिसाब से फ्लैट दिए गए। ये तो बस बानगी भर है नोएडा अथॉरिटी में पावर और पैसे के ‘मायाजाल’ का। 2 साल पहले सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में नोएडा अथॉरिटी में गड़बड़ियों की पोल खोली थी।

2021 में सीएजी रिपोर्ट में सामने आया था गड़बड़ियों का पुलिंदा
नोएडा में जमीन का आवंटन और रियल एस्टेट डील्स को लेकर अक्सर विवाद होते रहे हैं। जुलाई 2017 में योगी आदित्यनाथ सरकार ने नोएडा और तीन अन्य अथॉरिटी का सीएजी (कॉम्प्ट्रोलर ऐंड ऑडिटर जनरल) से ऑडिट को मंजूरी दी थी जिसके बाद तमाम गड़बड़ियों से पर्दा उठा। सीएजी ने नोएडा में 2005 से 2018 के बीच जमीन और संपत्तियों के आवंटन का ऑडिट कर नवंबर 2021 में परफॉर्मेंस ऑडिट रिपोर्ट यूपी सरकार को सौंपा। इसे दिसंबर 2021 में विधानसभा के पटल पर रखा गया। नोएडा अथॉरिटी के ऑडिट रिपोर्ट में सीएजी ने बड़े पैमाने पर करप्शन, प्राइवेट कंपनियों को अनुचित फायदा पहुंचाने के लिए पक्षपात, अफसरों और बिल्डरों में साठगांठ जैसी तमाम गड़बड़ियों की बात कही जिससे नोएडा अथॉरिटी को 10 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ। इसके अलावा लाखों घर खरीदारों को परेशानियां उठानी पड़ीं।

नियम-कायदों का मजाक उड़ा बिल्डरों को पहुंचाया फायदा
अयोग्य कंपनियों को भी नियम-कायदों को धता बताकर जमीन दिया गया। उदाहरण के तौर पर 2011 में लॉजिक्स ग्रुप को 471.57 करोड़ रुपये में 2 लाख वर्ग मीटर से ज्यादा जमीन का आवंटन किया गया जबकि ये ग्रुप मानकों के हिसाब से इसके लिए योग्य ही नहीं था। टेक्निकल एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया के मुताबिक आवंटन उन्हीं कंपनियों को हो सकता था जिनका रियल एस्टेट डिवेलपमेंट एक्टिविटीज में कम से कम 200 करोड़ रुपये का टर्नओवर होना चाहिए था। लॉजिक्स का टर्नओवर इससे कम था और काददे से उसकी बोली को सिरे से खारिज किया जाना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके अलावा, लॉजिक्स ग्रुप को अथॉरिटी ने 2010-2011 में 1680.93 करोड़ रुपये में 3 कॉमर्शियल बिल्डर प्लॉट का आवंटन किया गया जबकि वह रियल एस्टेट में 200 करोड़ के न्यूनतम टर्नओवर के मानदंड पर खरी नहीं उतरती थी। मई 2011 में इसी ग्रुप को सेक्टर 150 में 225 एकड़ का प्लॉट आवंटित किया गया। यानी एक ऐसी कंपनी जो बोली लगाने के लिए अयोग्य थी, उसे 2010-11 में 3246.50 करोड़ रुये में 2 ग्रुप हाउसिंग प्लॉट, 3 कॉमर्शियल बिल्डर प्लॉट और एक स्पोर्ट्स सिटी प्लॉट का आवंटन किया गया।

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