यह सिर्फ शुरुआत अभी तो और आगे जाना है… 60 साल के अमित शाह को लेकर पीएम मोदी ने दे दिए बड़े संकेत?

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नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को केंद्रीय मंत्री अमित शाह को देश का सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाला गृह मंत्री के रूप में तारीफ की। इसके साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि यह उनके लिए सिर्फ ‘शुरुआत’ है, अभी तो और आगे जाना है। पीएम मोदी के इस बयान के बाद बीजेपी इस बात की अटकलें लगाई जाने लगीं हैं कि शाह को यह समर्थन केवल तारीफ भर नहीं है। इस बात को गुजरात के 60 वर्षीय सांसद के लिए एक बड़ी भूमिका का संकेत माना जा रहा है।

एनडीए संसदीय दल की बैठक में सांसदों को संबोधित करते हुए मोदी ने शाह का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी के कार्यकाल को पीछे छोड़ दिया है, जो इससे पहले सबसे लंबे समय तक गृह मंत्री रहे थे। पीएम मोदी ने कहा कि यह तो अभी शुरू हुआ है…अभी और आगे जाना है।

पीएम मोदी के बयान के मायने?

हिंदुस्तान टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि एक सीनियर पार्टी नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि प्रधानमंत्री के बयान को दोनों के बीच घनिष्ठ संबंधों की पुष्टि के रूप में देखा जा सकता है। इसके साथ ही यह पार्टी पदानुक्रम में स्पष्टता का भी संकेत देता है। नेता ने कहा कि कुछ लोग पदानुक्रम समेत कुछ मुद्दों पर अटकलें लगा रहे थे… लेकिन प्रधानमंत्री के बयान ने इस धारणा को खत्म कर दिया है।

रिपोर्ट के अनुसार पार्टी के एक दूसरे वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि प्रधानमंत्री का समर्थन उनकी (शाह की) क्षमता और योग्यता को मान्यता देता है। गृह मंत्री के रूप में उन्हें वामपंथी उग्रवाद को कम करने, आतंकवाद के वित्तपोषण पर लगाम लगाने का श्रेय दिया जाता है। वे (जम्मू-कश्मीर से) अनुच्छेद 370 को हटाने, समान नागरिक संहिता जैसे वैचारिक सरोकारों को आगे बढ़ाने में सबसे आगे रहे हैं। इसके साथ ही वे संघ की विचारधारा में निहित हैं और अपने राजनीतिक निर्णय लेने में व्यावहारिक हैं।

मोदी के पुराने विश्वासपात्र रहे हैं शाह

पिछले दो दशक के दौरान नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी देश की राज्य के बाद केंद्र की राजनीति में एक मजबूत और प्रभावशाली साझेदारी के रूप में उभरी है। दोनों राजनेताओं का रिश्ता गुजरात में शुरू हुआ। प्रधानमंत्री के लंबे समय से विश्वासपात्र रहे शाह ने गुजरात में मोदी के साथ मिलकर काम किया। यह जोड़ी बीजेपी की रणनीति से लेकर सफलता का आधार रही है। शाह ने मोदी के नेतृत्व में गुजरात में बीजेपी को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई।

चुनावी रणनीति के ‘चाणक्य’

अमित शाह की पहचान पार्टी के चुनावी रणनीति के ‘चाणक्य’ के रूप में है। शाह ने साल 2014 के आम चुनावों में उत्तर प्रदेश में बीजेपी के चुनावी कैंपेन को लीड किया था। उस समय पार्टी ने लोकसभा चुनाव में राज्य की 80 में से 71 सीटें जीतीं। यूपी में शानदार जीत को शाह के सामाजिक इंजीनियरिंग कौशल के लिए व्यापक रूप से सराहा गया था। उसी साल अमित शाह को राजनाथ सिंह की जगह पार्टी अध्यक्ष भी नियुक्त किया गया। उस समय ही शाह को केंद्रीय गृह मंत्री के रूप में प्रोमोट किया गया था।

मोदी के विजन को पूरा करने में अहम रोल

2017 में, शाह के संगठनात्मक कौशल और कुशल चुनाव योजना के कारण बीजेपी 14 वर्षों के बाद उत्तर प्रदेश में सत्ता में वापस आई। इसके साथ ही शाह ने पार्टी के विस्तार की नींव रखी। पार्टी के सदस्यों की संख्या के साथ-साथ देश भर में पार्टी की मौजूदगी के संदर्भ में, असम, मणिपुर और त्रिपुरा जैसे राज्यों में जीत हासिल की। इन इलाकों में पहले पार्टी का जनाधार नहीं के बराबर था। शाह का संगठन प्रबंधन और बूथ-लेवल पर कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने का कौशल, पीएम मोदी के विजन को धरातल पर उतारने में मददगार रहा है।

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