14 जून 2020 में बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत का शव उनके बांद्रा स्थित फ्लैट में मिला था। खबर सामने आते ही पूरे देश में सनसनी मच गई थी। लोगों ने दावा किया कि सुशांत की मौत महज खुदकुशी नहीं हैं, बल्कि उनका मर्डर किया गया है, जिसके बाद हर किसी को पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार था।
25 जून को सुशांत की फाइनल पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई थी, जिसे पांच डॉक्टरों की टीम द्वारा तैयार किया गया था। इस रिपोर्ट में साफ लिखा था कि एक्टर की मौत फांसी लगने के बाद दम घुटने से हुई है। विसरा रिपोर्ट में भी उनकी मौत को आत्महत्या करार दिया गया। रिपोर्ट आने के बाद लोगों का कहना था कि बड़े सितारों और बड़े राजनेताओं के नाम जुड़े होने के कारण पुलिस निष्पक्ष जांच नहीं कर रही है।
जहां कुछ लोगों का मानना था कि सुशांत नेपोटिज्म और इंडस्ट्री के कैंप कल्चर का शिकार हो गए हैं, तो वहीं दूसरी तरफ ये भी दावा किया जा रहा था कि बड़े नेता, सेलेब्स का सपोर्ट करते हुए इस केस को दबा रहे हैं। इसी बीच विरोधी पार्टियों द्वारा जबरदस्ती परिवार को सहानुभूति दिखाकर अपने साथ करने की कोशिश की गई, जिससे मामला पूरी तरह राजनीति की भेंट चढ़ने लगा। आज जब एक्टर की मौत का एक साल पूरा होने को आया है, तो आइए जानते हैं, कैसे इस आत्महत्या के मामले से राजनीति चमकाने की कोशिश की गई-
30 जून से शुरू हुई राजनीति
पॉपुलर एक्टर और कॉमेडियन शेखर सुमन और एक्टर के दोस्त संदीप सिंह 30 जून को सुशांत सिंह राजपूत के परिवार से मिलने पटना पहुंचे थे। घरवालों से मुलाकात करने के बाद शेखर सुमन ने उन्हीं के घर के बाहर आरजेडी के लीडर और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया था। इस कॉन्फ्रेंस में सुशांत के पोस्टर भी इस्तेमाल किए गए थे, जिससे एक्टर का परिवार काफी नाराज हुआ था।
लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान ने यह कहकर सुशांत मामले को हवा दे दी कि आने वाले बिहार चुनाव में सुशांत की मौत एक मुद्दा बन सकती है। सुशांत का परिवार भाजपा के करीब है और ऐसे में कहा जा रहा था कि उनके नाम को बिहार में भुनाने की तैयारी चल रही है।
चुनाव के लिए किया गया सुशांत के नाम का इस्तेमाल
इलेक्शन से पहले हर न्यूज चैनलों पर बिहार के नेता तेज आवाजों में बिहार के बेटे सुशांत के लिए इंसाफ की गुहार लगा रहे थे। जिस तरह से बिहार के लोगों द्वारा नए- नए एंगल सामने लाए जा रहे थे, उससे लगा था जैसे ये महज एक एक्टर नहीं बल्कि उनके पूरे राज्य के साथ हुए अन्याय का मामला है। कई लोग बिहार की सड़कों पर धरना प्रदर्शन करते हुए सीबीआई जांच और न्याय की मांग कर रहे थे, हालांकि इन सभी रैलियों को किसी नेता द्वारा ही लीड किया जा रहा था। लेकिन अब नेताओं द्वारा सुशांत का नाम नहीं लिया जा रहा है।
28 जुलाई से बिहार पुलिस एक्टिव हुई
25 जुलाई को सुशांत सिंह राजपूत के पिता केके सिंह ने पटना के राजीव नगर थाने में रिया और उनके परिवार वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। केके सिंह ने यह आरोप भी लगाया कि रिया, उनके पिता इंद्रजीत, मां संध्या, भाई शौविक, सुशांत की पूर्व मैनेजर श्रुति मोदी और हाउस मैनेजर रहे सैमुअल मिरांडा ने सुशांत के खाते से 15 करोड़ रुपए की हेराफेरी की।
पटना पुलिस को नहीं मिला मुंबई पुलिस का सहयोग
शिकायत के बाद 28 जुलाई को पटना पुलिस की एक एसआईटी जांच के लिए मुंबई पहुंच गई। इसके बाद मुंबई पुलिस ने पूछताछ बंद कर दी। खुद को मुख्य आरोपी बनते देख रिया गायब हो गईं। उन्होंने आनन-फानन में वकील सतीश मानशिंदे के जरिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और मामले को पटना से मुंबई शिफ्ट कराने की अपील की।
मामले ने ड्रामेटिकल रूप तब लिया जब मुंबई पुलिस पर पटना पुलिस को सहयोग न देने और रिया को मदद करने के आरोप लगे। जांच के लिए मुंबई पहुंचे पटना सिटी एसपी विनय तिवारी को जबरन 14 दिनों के लिए क्वारैंटाइन कर दिया गया। पटना पुलिस के एक्टिव होने के बाद मुंबई पुलिस ने जांच की रफ्तार काफी धीमी कर दी थी जिससे ये मामला धीरे-धीरे मुंबई वर्सेज पटना बनने लगा था। आरोप लग रहे थे कि महाराष्ट्र में भाजपा प्रमुख विपक्षी दल है और बिहार के साथ-साथ केंद्र में सत्ता में है। इस वजह से महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार पर दोषियों को बचाने के आरोप लगाए जा रहे हैं।










































